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Last Modified: नई दिल्ली/ मुंबई , शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2014 (17:40 IST)

डीएलएफ ने सैट का दरवाजा खटखटाया

डीएलएफ ने सैट का दरवाजा खटखटाया - DLF, SAT
नई दिल्ली/ मुंबई। रीयल एस्टेट क्षेत्र की कंपनी डीएलएफ ने पूंजी बाजार नियामक सेबी के आदेश के खिलाफ प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) में अपील की है। सेबी ने डीएलएफ और उसके शीर्ष कार्यकारियों पर पूंजी बाजार में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया है।

सूत्रों के अनुसार सेबी आदेश के खिलाफ डीएलएफ की अपील पर सैट संभवत: अगले सप्ताह सुनवाई करेगा।

डीएलएफ को एक तगड़ा झटका देते हुए पूंजी बाजार नियामक सेबी ने इस कंपनी और इसके चेयरमैन तथा मुख्य प्रवर्तक केपी सिंह सहित 6 शीर्ष कार्यकारियों को 3 साल के लिए पूंजी बाजार में खरीद-फरोख्त से रोक लगा दी है। सेबी ने यह कदम कंपनी द्वारा आईपीओ के समय महत्वपूर्ण सूचनाओं को जानबूझकर और पूरी सक्रियता के साथ छुपाने के जुर्म में यह कार्रवाई की।

नियामक ने हालांकि किसी तरह का कोई मौद्रिक जुर्माना नहीं लगाया लेकिन उसके द्वारा लगाए गए प्रतिबंध से डीएलएफ और उसके 6 शीर्ष कार्यकारी प्रतिभूति बाजार में 3 साल तक धन जुटाने सहित किसी तरह के शेयरों की बिक्री, खरीदारी तथा अन्य खरीद-फरोख्त नहीं कर सकेंगे।

डीएलएफ पर 30 जून 2014 को 19,000 करोड़ रुपए का कर्ज था। कंपनी ने धन जुटाने के लिए पहले से अपनी योजना की घोषित कर रखी है। इसमें बॉंड के जरिए 3,500 करोड़ रुपए जुटाने की भी योजना प्रस्तावित है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) का यह पहला ऐसा आदेश है जिसमें उसने शेयर बाजार में सूचीबद्ध किसी प्रमुख कंपनी और उसके शीर्ष प्रवर्तक एवं कार्यकारियों को बाजार में कामकाज करने से रोक लगाई है।

डीएलएफ देश में रीयल एस्टेट क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है जिसका सालाना कारोबार 10,000 करोड़ रुपए के करीब है। मंगलवार को सेबी आदेश के बाद कंपनी का शेयर करीब 30 प्रतिशत तक टूट गया जिससे उसका बाजार पूंजीकरण करीब 7,500 करोड़ रुपए कम हो गया, हालांकि अगले कारोबारी सत्र में कंपनी के शेयर कुछ सुधर गए।

डीएलएफ के आईपीओ ने 2007 में उस समय 9,187 करोड़ रुपए जुटाए थे, उस समय यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ था।

सेबी ने जिन पर पूंजी बाजार में सौदे करने से रोक लगाई है उनमें केपी सिंह के अलावा उनके बेटे राजीव सिंह (उपाध्यक्ष), बेटी पिया सिंह (पूर्णकालिक निदेशक), प्रबंध निदेशक टीसी गोयल, पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी रमेश शंका और कामेश्वर स्वरूप, जो कि कंपनी के सार्वजनिक निर्गम के समय वर्ष 2007 में डीएलएफ के कार्यकारी निदेशक कानूनी मामले थे।

डीएलएफ ने सेबी आदेश जारी होने के दिन 13 अक्टूबर को कहा कि उसने किसी कानून का कोई उल्लंघन नहीं किया। वह सेबी आदेश में किसी भी गलत निष्कर्ष के खिलाफ अपनी स्थिति का बचाव करेगी।

कंपनी के वक्तव्य में कहा गया कि डीएलएफ को न्याययिक प्रक्रिया में पूरा भरोसा है और उसे पूरा विश्वास है कि निकट भविष्य में उसकी बात सही साबित होगी।

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य राजीव अग्रवाल ने अपने 43 पृष्ठ के आदेश में कहा कि यह उल्लंघन काफी गंभीर है और ऐसे मामलों का प्रतिभूति बाजार की सुरक्षा और भरोसे पर व्यापक असर होता है। (भाषा)