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Last Modified: रविवार, 14 फ़रवरी 2016 (13:51 IST)

बैंकों को 12,000 करोड़ रुपए का तिमाही घाटा

बैंकों को 12,000 करोड़ रुपए का तिमाही घाटा - Bank losses, losses in national banks, bad loans
नई दिल्ली। बढ़ती गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से बुरी तरह प्रभावित बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और आईडीबीआई बैंक समेत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का अब तक का सबसे बड़ा 12,000 करोड़ रुपए का कुल तिमाही नुकसान हुआ जबकि एसबीआई, पीएनबी और केनरा के मुनाफे में भारी गिरावट दर्ज हुई।
बैंक ऑफ बड़ौदा को 3,342 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के किसी बैंक का अब तक का सबसे ऊंचा तिमाही नुकसान है।
 
आईडीबीआई बैंक को 2,184 करोड़ रुपए और बैंक ऑफ इंडिया को 1,505 करोड़ रुपए का भारी-भरकम नुकसान हुआ। इसके अलावा यूको बैंक को 1,497 करोड़ रुपए, इंडियन ओवरसीज बैंक को 1,425 करोड़ रुपए, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 837 करोड़ रुपए तथा देना बैंक को 663 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
 
जिन बैंकों को 500 करोड़ रुपए से कम का नुकसान हुआ उनमें इलाहाबाद बैंक को 486 करोड़ रुपए, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को 425 करोड़ रुपए और कॉर्पोरेशन बैंक को 383 करोड़ रुपए और सिंडीकेट बैंक को 120 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
 
सार्वजनिक क्षेत्र के इन 11 बैंकों को तिमाही के दौरान कुल मिलाकर 12,867 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। एसबीआई की अगुवाई में सार्वजनिक क्षेत्र के कई प्रमुख बैंकों के मुनाफे में भारी गिरावट दर्ज हुई। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई का मुनाफा 61.6 प्रतिशत गिरकर 1,115.34 करोड़ रुपए पर आ गया, जो पिछले साल की इसी अवधि में 2,910.06 करोड़ रुपए पर था।
 
वसूली न किए जा सकने वाले ऋण के लिए बेहतर पूंजी प्रावधान और आपात स्थिति के कारण पीएनबी का मुनाफा 93 प्रतिशत घटकर 51 करोड़ रुपए रह गया जबकि केनरा बैंक का मुनाफा 87 प्रतिशत घटकर 84.9 करोड़ रुपए रहा।
 
हालांकि इन बैंकों में बैंक ऑफ महाराष्ट्र और विजया बैंक की तरह कुछ अच्छी स्थिति में भी रहे जिनके तिमाही मुनाफे में बढ़ोतरी हुई, मसलन पुणे के बैंक ऑफ महाराष्ट्र का मुनाफा तीसरी तिमाही में 55.6 प्रतिशत बढ़कर 89.06 करोड़ रुपए जबकि विजया बैंक का मुनाफा इसी तिमाही में 40.6 प्रतिशत बढ़कर 52.61 करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
 
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए सरकार कुछ पहल करने पर विचार कर रही है ताकि बैंकों को फंसे हुए कर्ज की वसूली के लिए सशक्त बनाया जा सके जिससे कि समस्या का जल्द समाधान सके। (भाषा)