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इस तरह कुंडली के ग्रहों को जगाने से जाग जाएगा आपका भाग्य

#LalKitab | इस तरह कुंडली के ग्रहों को जगाने से जाग जाएगा आपका भाग्य
ग्रह सोया है तो मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलेगी। लाल किताब के अनुसार किसी की कुंडली में दो तरह की स्थिति होती है सोया भाव और सोया ग्रह। जब कोई महत्वपूर्ण भाव या ग्रह सोया होता है जो व्यक्ति को उसके जीवन में उसके अनुसार फल नहीं मिलते हैं।
 
 
सोया भाव : जिस भाव में कोई ग्रह नहीं है और जिस पर किसी ग्रह की दृष्टि भी नहीं पड़ रही है वह सोया भाव होता है। जैसे भाग्य के स्‍थान पर कोई ग्रह नहीं है और उस स्थान पर किसी ग्रह की दृष्टि भी नहीं पड़ रही है तो वह सोया हुआ भाव है।
 
 
सोया ग्रह : सोये ग्रह से मतलब यह है कि उसका शुभ या अशुभ प्रभाव सिर्फ उसी भाव में होगा जिस भाव में वह बैठा यानी कि स्थित है। इसकी कई स्थितियां होती है।
 
 
1. पहली यह कि सोया ग्रह अर्थात कोई ग्रह यदि सूर्य के सपीप है तो उसे अस्त माना जाएगा।
2. दूसरा यह कि जब पहले भावों (1 से 6 तक के खाने) में कोई ग्रह न हो तो बाद के भावों ( 7 से 12 तक के खाने) के ग्रह सोये हुए माने जाएंगे।
3. तीसरा यह कि पहले भावों में कोई ग्रह न हो तो बाद के भावों के ग्रह सोये हुए माने जाएंगे।
4. चौथी स्थिति यह कि जब कोई ग्रह स्वयं की राशी, उच्च राशी या अपने पक्के घर में नहीं बैठा हो।
5. पांचवीं स्थिति भाव 10 में कोई ग्रह न हो तो भाव 2 के ग्रह सोये होंगे। भाव 2 में कोई ग्रह न हो तो भाव 9 व 10 के ग्रह सोये होंगे।
 
 
भाव की प्रधानता : लाल किताब में भाव की प्रधानता है, ग्रह गौण होता है। ग्रह के सोने में दृष्टि का बहुत महत्व है। लाल किताब में जो दृष्टि का सिद्धान्त है, वह तय करता है कि कौनसा ग्रह सोया हुआ है। ग्रह के सोया होने का तात्पर्य यह है कि ग्रह शुभ परिणाम देने में कमजोर हो जाता है।
 
 
कैसे जागेंगे ग्रह या भाव?
1.जब कोई भी ग्रह सोया हुआ हो तो उसे बलवान बनाने या क्रियाशील करने के लिए उस ग्रह का उपाय किया जाता है जिससे वह ग्रह शुभ फलदायी बन जाता है। इसके लिए लाल किताब की कुंडली में अन्य विशेष ग्रह को भाव में बैठाना पड़ता है।
 
 
2.हर ग्रह उम्र के हिसाब से थोड़ा बहुत जाग जाता है। बृहस्पति 16 से 21 वर्ष की आयु के मध्य, चन्द्र 24वें वर्ष के बाद, शुक्र विवाह के बाद (अगर विवाह 25वें वर्ष के पश्चात् होतो), मंगल 28वें वर्ष के पश्चात्, बुध 34वें वर्ष के पश्चात्, शनि 36वें वर्ष के पश्चात, राहु 42वें वर्ष के पश्चात, केतु संतान के जन्म के पश्चात् या विशेषकर 48वें वर्ष के पश्चात् जाग्रह हो जाता है। जाग्रत होने पर शुभ या अशुभ फल देते हैं।
 
 
3.शुभ फल पाने के लिए ग्रह से संबंधित उपाय करने होते हैं। जैसे कुंडली का प्रथम भाव सोया हुआ हो उसे जाग्रत करने के लिए मंगल का उपाय करते हैं। अगर दूसरा घर सोया हुआ हो तो चन्द्रमा के, तीसरे घर को जगाने के लिए बुध के, चौथे घर के लिए चन्द्र के, पांचवें घर के लिए सूर्य के, छठे घर के लिए राहु के, सातवें के लिए शुक्र के, आठवें के लिए चन्द्रमा, नौवें के लिए गुरु, दशम के लिए शनिदेव के, एकादश भाव के लिए गुरु के और द्वादश अर्थात बारहवें भाव के लिए की गुरु या केतु के उपाय किए जाते हैं।
 
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