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Written By WD
Last Modified: गुरुवार, 19 अप्रैल 2012 (12:56 IST)

जल प्रलय से कैसे बच गया मानव....

- वेबदुनिया विशेष

जल प्रलय से कैसे बच गया मानव.... -
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हिंदू पुराणों में राजा वैवस्वत मनु की जल प्रलय से बच जाने की कथा है। ठीक उसी तरह ‘द बाइबल’ में एक विशाल जल प्रलय की कथा मिलती है। जयशंकर ‘प्रसाद’ की महान काव्यकृति ‘कामायनी’ भी जल प्रलय की घटना पर आधारित है

जल प्रलय की यह कथा पूरी दुनिया के देशों के साहित्य में किसी न किसी रूप में मिलती हैं और वैज्ञानिक भी मानते हैं कि प्रागैतिहासिक काल में कोई विशाल जल प्रलय जरूर हुआ होगा। इस पर शोध भी हुए और अंतत: पाया गया कि एक बार धरती पूरी तरह जल मग्न हो चुकी है।

लोकगीतों में जीवित जल प्रलय : इंडोनेशिया, जावा, मलेशिया, श्रीलंका आदि द्वीपों के लोगों ने अपनी लोक परम्पराओं में गीतों के माध्यम से इस घटना को आज भी जीवंत बनाए रखा है। इसी तरह धर्मग्रंथों से अलग भी इस घटना को हमें सभी देशों की लोक परम्पराओं के माध्यम से जानने को मिलता है।

वैज्ञा‍निकों में मतभेद : वैज्ञानिक मानते हैं कि आज से करीब 7600 वर्ष पहले भूमध्य सागर और काले सागर के बीच ऐसा जल प्रलय आया था, जिसमें मानव का बचना मुश्किल था। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि भूमध्य सागर में कोई सुनामी हुई होगी जिसका समय लगभग 3500 वर्ष पूर्व रहा होगा। कुछ वैज्ञानिकों अनुसार 5000 वर्ष पहले हिंद महासागर में एक बड़ी उल्का गिरी थी, जिससे भारी बाढ़ आई थी और धरती का लगभग 30 प्रतिशत भाग जल में डूब गया था।

एगासिज के कारण जल प्रलय : सबसे नया सिद्धांत बर्मिंघम विश्वविद्यालय के पुरातत्ववेत्ता जैफरी रोज और कुछ अन्य वैज्ञानिकों का है। उनके अनुसार तकरीबन 8400 वर्ष कनाडा की प्रागैतिहासिक विशाल झील ‘एगासिज’ के तटबंध टूट गए थे और उससे जो पानी बहा, उससे हिंद महासागर में भारी बाढ़ आ गई जिसके कारण अरब प्रायद्वीप का एक बड़ा हिस्सा पानी के अंदर डूब गया।

रोज का यह भी मानना है कि फारस की खाड़ी उसी पानी के भरने से बनी है। जिस हिस्से में पानी भरा था वहां पहले कभी उन्नत सभ्यता हुआ करती थी और जो बाद में फारस के किनारे पनपी। रोज की इस यह बाद इसलिए संभव लगती है कि इन इलाकों में ईसा पूर्व आठवीं-नौवीं सदी में सभ्यता के चिन्ह मिलते हैं।

इस बाढ़ ने दुनिया के कई हिस्सों को डुबा दिया और इसके बाद कई नए इलाके बसाहट के काबिल हो गए। इसीलिए इस बाढ़ की स्मृति मानव जाति के तमाम प्राचीन दस्तावेजों में है।

जल प्रलय ने बदला मौसम : जल प्रलय के बाद तेजी से धरती का तापमान गिरा। संभवत: धरती के तापमान में यह भारी कमी इसी प्रागैतिहासिक झील 'एगासिज' के तटबंध टूटने से हुई थी। एगासिज हालांकि झील थी, लेकिन इसका आकार समुद्र जैसा था। इस झील में पानी उत्तरी ध्रुव के ग्लेशियरों से आता था। बर्फ की एक बहुत बड़ी चादर टूटने से इस झील में बर्फीला पानी भर गया और उसमें बाढ़ आ गई।

जल प्रलय ने बदला भूगोल : आज से 8200 वर्ष पहले दुनिया के मौसम में एक बड़ा परिवर्तन हुआ था, इसे मौसम विज्ञान की भाषा में ‘8.2 किलोईयर घटना’ के नाम से जाना जाता है। यह बड़ा परिवर्तन दो-चार सौ साल तक चला और इससे दुनिया के भूगोल में बड़ा परिवर्तन हुआ।

खैर। जो भी हो प्राचीन काल में जल प्रलय होती रही है जिसका उल्लेख दुनिया भर के धर्मग्रंथों और लोकगीतों में मिलता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि धरती के 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से पर समुद्र का ही राज है। सिर्फ 30 या 25 प्रतिशत हिस्से पर ही सूखी धरती है जो कभी भी समुद्र में होने वाली भारी उथल-पुथल का शिकार होकर जल मग्न हो सकती है। विज्ञान सब से लड़ सकता है, लेकिन पांच तत्वों द्वारा पैदा की जा रही तबाही को रोकने में विज्ञान असफल ही रहा है।

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