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Last Updated : मंगलवार, 27 दिसंबर 2016 (15:53 IST)

दुनिया की 10 सर्वाधिक दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें

दुनिया की 10 सर्वाधिक दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें - Top Ten missiles of world
नई दिल्ली। भारत की सबसे लंबी रेंज वाली पावरफुल न्यूक्लियर मिसाइल अग्नि-5 का सोमवार को ओडिशा के अब्दुल कलाम आईलैंड से टेस्टफायर किया गया। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के मुताबिक, यह 5000 किमी तक रेंज कवर कर सकती है। ईस्ट में चीन, फिलीपींस और वेस्ट में यूरोप के इटली तक यह मिसाइल पहुंच सकती है। विदित हो कि  भारत इंटरकॉन्टीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) बनाने वाला पांचवा देश है। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन हमसे पहले इस तरह की मिसाइल डेवलप कर चुके हैं और इनकी दूरी की क्षमताएं बढ़ा रहे हैं। 
यह मिसाइल, अग्नि-5, 85% स्वदेशी है जोकि सतह से सतह पर मार करने वाली मध्यम दूरी की इंटरकॉन्टिनेंटल रेंज की मिसाइल है। इसका यह चौथा टेस्ट है। दूसरे और तीसरे टेस्ट से यह बात साबित हुई थी कि यह मिसाइल 20 मिनट में टारगेट को हिट कर सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अग्नि-5 का नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम उसे खास बनाता है। मिसाइल में आरएलजी (रिंग लेजर गायरोस्पेस) टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है। इससे सटीक निशाना लगाने में मदद मिलती है।

यह मिसाइल मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नीक के इस्तेमाल से सुसज्जित होने के कारण एकसाथ कई टारगेट पर वार कर सकती है। 17 मीटर लंबी अग्नि-5 का वजन 50 टन है और 1000 किलो तक वॉरहेड (विस्फोटक) ले जा सकती है। लॉन्चिंग सिस्टम में कैनस्टर टेक्नीक का इस्तेमाल किया गया है। इसकी वजह से मिसाइल को आसानी से कहीं भी ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है।
 
लेकिन अगर हम इसकी तुलना रूस, अमेरिकी, चीन और फ्रांस द्वारा वि‍कसित की गई मिसाइलें से करते हैं तो हमें पता लगेगा कि मिसाइल तकनीक में भी हम कितने पीछे हैं। चूंकि इन्हें विकसित करने वाले देशों की संख्या मुट्‍ठी भर है इसलिए हमें लगता है कि हमने इस क्षेत्र में बहुत प्रगति कर ली है। तकनीक के इस क्षेत्र में हम कहां हैं, इस बात को समझने के लिए हम आपको दुनिया की ऐसी दस मिसाइलों की जानकारी देंगे जोकि अपनी दूरी और मारकक्षमता के कारण बेजोड़ हैं।

1. एसएस-18 सैटन : चूंकि ये विभिन्न महाद्वीपों में भी निशाना लगाने की क्षमता रखती हैं इसलिए इन्हें इंटरकॉंटीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) कहा जाता है। इन सबमें पहला स्थान रूस की आर-35 एम (एसएस-18 सैटन) का है जो कि दुनिया की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल है। इसकी मारकक्षमता 16 हजार किमी की है और इसका बजन 8.8 टन है और इस कारण से आर-36 एम दुनिया की सबसे भारी मिसाइल भी है।
इसे विभिन्न वर्शन्स में बनाया गया है और यह मॉड 1 से लेकर मॉड 6 तक में मौजूद है। इसके ‍इतने अधिक वैरिएंट्स इसलिए बनाए गए हैं क्योंकि इन्हें साइलो आधारित लांच साइट्‍स से फायर किया जाता है। आर-36 M के कुछ वर्शन्स ऐसे भी हैं जोकि एक साथ दस मल्टी इंडिपिडेंट रि-एंट्री ब्हीकल्स (एमआईआरवी) में 550 किलोटन (केटी) के वारहैड्‍स जिनमें प्रत्येक की क्षमता 750 किलोटन तक हो सकती है।
 
सोवियत संघ का पहला आर-36एम मॉड 1वैरिएंट को वर्ष 1975 में सोवियत यूनियन स्ट्रेटजिक रॉकेट फोर्सेज में शामिल किया गया था। दो स्टेज वाला यह रॉकेट लिक्विड रॉकेट इंजिनों से चलता है जिनकी गति 7.9 किमी/ प्रति सेकंड होती है। इसके इंजन में लिक्विड प्रोपेलेंट भरा होता है और जिसके साथ अनसिमिट्रकल डाइमिथाइलहाइड्राजीन (यूडीएमएच) इंधन होता है और नाइट्रोजन टेट्रोआक्साइड एक ऑक्सीडाइजर के तौर पर काम करता है।
 
संबंधित सप्लाइज : मिसाइल, रॉकेट्‍स और अन्य उपकरण होते हैं।

2.  डोंगफेंग-  चीनी हथियारों के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं, लेकिन चीनी सेना दुनिया में सबसे बडी़ है,  चीन में अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलें मौजूद हैं, जिनमें डोंगफेंग-41, 51 का नाम अमेरिका जैसे देश को भी कंपकपा देता है। यह मिसाइल परमाणु बम के साथ अन्य वैंपस भी ढोने में कारगर है। इसकी स्पीड 25 मैक है, जबकि रेंज 14,000 किमी तक है। नाटो ने इसे सीएसएस-4 का नाम दिया है।

यह डीएफ-5 का संशोधित संस्करण है जो‍कि सीधे चीन से अमेरिका तक मार करने में सक्षम है। कहीं से दागी जा सकने वाली इस मिसाइल से एक साथ कई टारगेट भेदे जा सकते हैं। ये पृथ्वी का एक चक्कर लगा सकती है। यानी यह दुनिया में सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल है। 
 
चीन ने इसे 1983 में संशोधित किया था जिसके चलते इसकी रेंज बढ़ाई गई और निशाना भी अचूक बनाया गया। इसका थ्रोवेट पहले जो 3हजार किग्रा था, उसे बढ़ाकर 3200 किग्रा किया गया है। यह मिसाइल अपने साथ छह रि एंट्री ब्हीकल्स भी ले जा सकती है जिनमें से प्रत्येक का वजन 600 किग्रा तक हो सकता है।  
 
डीएफ-5ए आईसीबीएम को किसी लांच पैड या जमीन पर रखे किसी साइलो से फायर किया जा सकता है। इसमें लगे इर्निशियल गाइडेंस सिस्टम और ऑन बोर्ड कम्प्यूटर्स मिसाइल को दिशा देने का काम करते हैं। इसके दो स्टेज वाले रॉकेट इंजन में लि‍क्विड बाई- प्रोपेलेंट्‍ से वांछित प्रोपल्जन मिलता है। 

3.आर-29 RMU सिनेवा (आरएसएम-54), रूस की यह मिसाइल 11,547 किमी तक मार करती है। नाटो ने इसे कोड नेम (एसएस-एन-23 स्किफ) नाम दिया है। यह रूस की तीसरी पीढ़ी की सबमैरीन से फायर की जाने वाली आईसीबीएम है। इस मिसाइल को रूसी नेवी की डेल्टा 4 क्लास सबमैरीन्स से ले जाई जाती है और परीक्षणों के दौरान सिनेवा की अधिकतम मारक क्षमता11, 547 किमी तक मापी गई थी।  
इसे वर्ष 2007 में जलसेना में शामिल किया गय था और इसके नेवी में 2030 तक सक्रिय रहने की उम्मीद की जा रही है। यह चार वारहैड्‍स या दस 100 किलोटन के वारहैड्‍स को स्वतंत्रतापूर्वक निशाना बनाने वाले रि एंट्री व्हीकल्स के जरिए ले जा सकती है। अत्यधिक सटीकता से निशाना लगाने के लिए इसमें एस्ट्रो इनर्शियल कंट्रोल और ग्लोनॉस नेवीगेशन सिस्टम्स का उपयोग किया जाता है।
 
तीन स्तरों वाली इस मिसाइल में लिक्विड प्रोपेलेंट इंजिन्स का इस्तेमाल किया जाता है और जिनमें यूडीएमएच और नाइट्रोजन टेट्रोआक्साइड का इस्तेमाल इंधन और ऑक्सीडाइजर के तौर पर किया जाता है।

4. यूजीएम-133 ट्राइडेंट टू (ट्राइडेंट डी5) एक अमेरिकी मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 11, 300 किमी है। यह सबमैरीन लांच्ड बैलिस्टिक मिसाइल है जोकि आईसीबीएम रेंज क्लास की है। यह वर्तमान में अमेरिकी नेवी के ओहायो और ब्रिटिश वैनगार्ड क्लास सबमैरीन्स में लगाई गई है। ट्राइडेंट टू डी5 का जीवन ओहायो-क्लास एसएसबीएन्स 2042 तक चल सकता है। 
पहली यूजीएम-133 मिसाइल को जनवरी 1987 में केप कैनवेरल पर एक पैड से लांच किया गया  था और वर्ष 1990 में इसे अमेरिकी जलसेना में शामिल किया गया था। यह मिसाइल आठ मल्टीपल w 88 या w 76 परमाणु वारहैड्स ले जा सकती है।
 
मिसाइल के प्रक्षेपण तीन ठोस-प्रोपेलेंट रॉकेट मोर्ट्‍स द्वारा किया जाता है जोकि 7000 मील (11, 300 किमी) तक मार कर सकती है। तीन चरणों वाला एटीके स्प्लाइड बूस्ट मोटर सिस्टम्स को इ सके प्रमुख ठेकेदार लॉकहीड मार्टिन स्पेस सिस्टम्स ने उपलब्ध कराया है और यह मिसाइल 1300 00 मील प्रतिघंटा की गति से प्रहार करती है।
 
संबंधित सप्लाई: इसके साथ ही जीपीएस, नेवीगेशन और सेटेलाइट कम्युनिकेशन से संबंधित उपकर ण भी इसके लिए दिए जाते हैं।

5. डोंगफेंग 31 A (डीएफ-31ए, चीन-मारक क्षमता 11,200 किमी (चीन) : डोंगफेंग 31 ए (डीएफ-31 ए) जिसे नाटो ने सीएसएस-9 मॉड-2  का नाम दिया है। यह एक चीनी लांग रेंज इंटरकॉंटीनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 11, 200 किमी है। यह आईसीबीएम 1000 केटी के एक अकेले थर्मल न्यूक्लियर वारहैड को ले जाने में सक्षम है।
इस विस्तृत रेंज मिसाइल को डीएफ-31 आईसीबीएम के तौर पर विकसित किया गया था। चीन की पीएलए सेकंड आर्टिलरी कॉर्प्स ने 10 डीएफ-31 ए मिसाइल को वर्ष 2006 में सेवा में लिया गया। इसके अलावा सबमैरीन से लांच होने वाली जुलांग-2 (जेएल-2) मिसाइल को भी भूमि आधारित संस्करण डीएफ-31 से विकसित किया गया है।
 
डांगफेंग 31 ए को साइलोज से लांच किया जा सकता है या इसे ट्रासपोर्ट्‍र-इरेक्टर- लांचर (टीइएल) वाहन पर ले जाया जा सकता है। तीन चरणों वाली यह मिसाइल, जिसका लांच वेट 42 टी होता है, को ठोस प्रोपेलेंट रॉकेट मोर्ट्स प्रक्षेपित किया जाता है। 

6. आरटी-2यूटीटीकेएच टोपाल-एम, रूस-11,000 किमी 
आरटी-2 यूटीटीकेएच टोपाल-एम मिसाइल की रेंज करीब 11,000 किमी है और यह टोपाल आईसीबीएम का आधुनिकतम संस्करण है। इस मिसाइल को साइलोज या मोबाइल लांचर्स से प्रक्षे‍पित किया जाता है और यह मिसाइल 550 केटी की क्षमता वाले एक वारहैड को ले जाने में समर्थ है।  
विदित हो कि 47.2 मीटर लंबी मिसाइल को मॉस्को इंस्टीट्‍यूट ऑफ थर्मल टेक्नोलॉजी (एमआईटीटी) द्वारा विकसित की गई थी जिसे वोतकिंस्क बिल्डिंग प्लांट में असेम्बल किया गया था। गौरतलब बात यह है कि सोवियत संघ का विघटन होने के बाद यह पहली आईसीबीएम विकसित की गई थी। इस मिसाइल का डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है कि यह रेडिएशन (विकिरण), इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स या परमाणु विस्‍फोटों को सहन कर सकती है भले ही यह विस्फोट इसके 500 मीटर की रेंज 500 मीटर के आसपास ही क्यों न हो। साथ ही, यदि इस पर हाई इनर्जी लेजर्स से हमला किया जाता है तो भी यह अप्रभावित रहती है।
 
टोपोल-एम अपने साथ डीकॉय विमानों के साथ-साथ चार से छह एमआईआरवी वारहैड्स ले जा सकती है। तीन चरणों इसकी रॉकेट मोर्ट्स ठोस इंधन का प्रयोग करती है जोकि मिसाइल को अधिकतम 7, 320 माइल प्रतिसेकंड की गति से दूरी तय करती है।
 
संबंधित उपकरण और ऐसेसरीज में कम्युनिकेशंस सिस्टम्स और उपकरण होते हैं।

7. माइन्यूटमैन-थ्री (एलजीएम-30 जी) । यह एक अमेरिकी मिसाइल है जोकि 10,000 किमी तक मार कर सकती है। माइन्यूटमैन-थ्री (एलजीएम-30जी) वर्तमान में उपलब्ध दुनिया की सबसे अच्छी मिसाइलों में शामिल है। इसकी रेंज 6,000 एनएमआई (नॉटिकल माइल) या दस हजार किमी तक है। इसे अभी भी सेना में इस्तेमाल किया जा रहा है जोकि दुनिया की सर्वाधिक लंबी दूरी की मिसाइलों में गिनी जाती है। अमेरिका के सेना भंडार में यह अकेली भूमि आधारित आईसीबीएम है जोकि सक्रिय है। माइन्यूटमैन रेंज की आईसीबीएम्स का उत्पादन बोईंग ने अमेरिका की वायुसेना कॉम्बैट कमांड के लिए किया था।
माइन्यूटमैन 1 को फरबरी 1961 में लांच किया गया था और इसके बाद क्रमश: 1964 और 1968 में इसका दूसरा और तीसरा संस्करण लांच किया गया था। माइन्यूटमैन रेंज को जून 1970 में मिनोट एयरफोर्स की सेवा में शामिल किया गया था। यह दुनिया की पहली ऐसी मिसाइल थी जोकि मल्टीपल रि एंट्री व्हीकल (एमआरवी) सिस्टम के जरिए बहुत सारे वारहैड्‍स को ले जाने में कामयाब हुई थी।
 
इस मिसाइल का बजन करीब 76,000 पौंड (34, 473 किग्रा) था और इसे तीन स्तरों वाले ठोस इंधन वाले रॉकेट मोटर्स द्वारा चलाया जाता था। इसका सॉलिड- फ्यूल्ड प्रोपल्जन सिस्टम सुनिश्चित करता है कि मिसाइल 15 हजार मील प्रतिघंटा की गति से प्रक्षेपित होती है। प्रतिकिलोमीटर-घंटा में यह 24,140 किमी प्रति घंटा होता है।

8. एम51 आईसीबीएम, फ्रांस- मारक क्षमता 10 हजार किमी
एम 51एक इंटरकांटीनेंटल रैंज सबमैरीन से लांच होने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे फ्रांस की जल सेना के लिए इएडीएस एस्ट्रिम स्पेस ट्रांसपोर्टेशन ने बनाया है। इसे एम 45 एसएलबीएम के स्थान पर डिजाइन किया गया था और वर्ष 2010 में इसे पहली बार नेवी में तैनात किया गया था। 
इस मिसाइल को सबसे पहले फ्रांसीसी नौसेना की ट्राइमफैंट क्लास की पनडुब्बियों पर लगाया गया था। इसकी ऑपरेशनल रेंज 8 हजार किमी से लेकर 10 हजार किमी तक है। इसके सुधरे हुए संस्करण को वर्ष 2015 में सेना में तैनात करना था जिसके साथ न्यूक्लियर वारहैड्‍स भी शामिल होंगे। एम 51 का बजन 50 टन है और यह अपने साथ छह स्वतंत्र रूप से टारगेटेबल रि एंट्रीज व्हीकल्स भी ले जा सकती है जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 100 किलोटन से लेकर 150 किलोटन होती है। तीन चरणों वाली मिसाइल एक ठोस इंधन की मोटर को फ्लेक्स-बियरिंग नोजल पॉवर्स से सुसज्जित है।

9. यूआर-100 एन (एसएस-19 स्टिल्टो), रूस- दस हजार किलोमीटर की क्षमता।
यूआर-100 एन (नाटो ने जिसे एसएस-19 स्टिल्टो) का नाम दिया गया था। रूसी स्ट्रेटेजिक रॉकेट फोर्सेज में चौथी पीढ़ी की आईसीबीएम है। इस मिसाइल की मारक क्षमता 10 हजार किमी है जोकि इसे दुनिया में सर्वाधिक लंबी दूरी की आईसीबीएम्स में से एक है।
यूआर-100 एन को 1975 में सेना में भर्ती किया गया था और इसके वर्ष 2030 तक सक्रिय रहने की उम्मीद की जा रही है। यह अपने साथ छह एमआईआरवी वारहैड्‍स ले जा सकती है जिनमे से प्रत्येक वारहैड की क्षमता 550 किलोटन की होगी। लक्ष्यों पर सटीक निशाना लगाने के लिए इसमें इनर्शियल गाइडेंस सिस्टम का उपयोग किया गया है।
 
पर दो चरणों वाली यह मिसाइल साइलोज से ही लांच की जाती है। इनके रॉकेट मोर्ट्स में स्टोर किए प्रोपेलेंट में यूडीएमएच और नाइट्रोजन टेट्रोसाइड भरा जाता है।

10. आरएसएम-56, बुलावा, रूस- दस हजार किलोमीटर 
बुलावा या आरएसएम-56 एक नई इंटरकांटीनेंटल रेंज की सबमैरीन से लांच की जाने वाली रूसी नेवी की बैलिस्टिक मिसाइल है। नाटो ने इसे :एसएस-एनएक्स -32 नाम दिया गया है। इस मिसाइल की रेंज करीब दस हजार किमी है और इसे बोरी-क्लास की परमाणु पनडुब्बियों में लगाई जाती है।
बुलावा मिसाइल को जनवरी, 2013 में यूरी डोलगोरयुकी सबमैरीन पर लगाई गई थी। इसकी प्रत्येक मिसाइल छह से दस अलग-अलग टारगेट्‍स पर चिन्हित परमाणु वारहैड्‍स ले जा सकती है जिसमें से प्रत्येक की क्षमता 100 केटी से लेकर 150 केटी की होगी। इस मिसाइल का थ्रो वेट करीब 1150 किग्रा है। इस मिसाइल में ठोस इंधन का इस्तेमाल किया जाता है जोकि पहले दो चरणों में इस्तेमाल किया जाता है और तीसरे चरण में ‍द्रव इंधन का इस्तेमाल किया जाता है। 
 
इस मिसाइल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अगर इसके 500 मीटर के पास भी कोई परमाणु विस्फोट होता है तो यह ऐसे विस्‍फोटों को भी सहन कर सकती है।