लघु बाल नाटिका : बस्तों की फरियाद
पात्र :
महाराजा, महामंत्री, पांच बस्ते, एक बालक, दो सिपाही
मंच पर परदे के पीछे से आवाज आ रही है।आजकल कैसी-कैसी शिकायतें आ रही हैं महामंत्री, अब तो बस्ते भी शिकायत करने लगे। जमीन-जायदाद की शिकायतें तो आती हैं, मारपीट और स्त्री-पुरुषों के झगड़ों की शिकायतें आना भी समझ में आता है, पर... पर... ये बस्ते! आश्चर्य है इन्हें क्या कष्ट हो गया, समझ से परे है महामंत्री।महाराज कोई विशेष बात लगती है। राजमहल को हजारों बस्तों ने घेर रखा है, नारेबाजी हो रही है, 'हम पर न ये जुल्म करो- इंसाफ करो इंसाफ करो।'सारे बस्ते आपसे मिलना चाहते थे, वह तो मैंने केवल पांच प्रतिनिधि बस्तों को ही दरबार में आने की इजाजत दी है।चलो चलकर देखते हैं।
राजसी वेशभूषा में महाराज और महामंत्री मंच पर प्रवेश करते हैं। मंच पर उपस्थित दो सैनिक सिर झुकाकर अभिवादन करते हैं। महाराज आसन पर बैठ जाते हैं और बस्तों की तरफ एक सरसरी नजर डालते हैं। पांच छोटे-बड़े बच्चे बस्ता बने हुए हैं, छाती पर छोटे से बैनर बंधे हैं जिन पर लिखा है- फर्स्ट स्टैंडर्ड, फोर्थ स्टैंडर्ड, सेवंथ स्टैंडर्ड, टेंथ स्टैंडर्ड और ट्वेल्थ स्टैंडर्ड। पांचों बच्चों के कमर बेल्टों में किताबें-कॉपियां बंधी हैं।