शुक्रवार, 29 मार्च 2024
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बाल नाटक - चलो संभल के...

बच्चों के लिए एक लघु नाटिका

बाल नाटक - चलो संभल के... -

पात्

एक बड़ा बच्चा सूत्रधार

एक बच्चा ड्राइवर {ड्राइवर की वेश‌भूषा में}

दूसरा बच्चा स्कूल बस {पीले कपड़ों में}

चार बच्चों की प्रथम टोली {स्कूल ड्रेस में}

चार बच्चों की द्वितीय टोली {स्कूल ड्रेस में}

{पर्दा खुलता है। प्रकाश के घेरे में सूत्रधार दिखाई देता है। तबले की ताल पर उसकी बुलंद आवाज}


यह एकांकी चेतावनी है उनके लिए {तबले की थाप}, जो नशे की हालत में चलाते हैं वाहन। {तबले की थाप} और देते हैं दुर्घटनाओं को आमंत्रण। {तबले की डबल थाप} और उन्हें भी चेतावनी, {एक थाप} जो वाहन तेज रफ्तार चलाते हैं। {तबले की डबल थाप} खुद तो जोखिम उठाते ही हैं {एक थाप} राहगीरों को भी मौत के दरवाजे तक पहुंचाते हैं। {तबले की डबल थाप}

अंधेरा होता है सूत्रधार चला जाता है और पुन: प्रकाश होता है।

एक बच्चा ड्राइवर की कुर्सी पर बैठा है, स्टेयरिंग हाथ में है। वह वाहन चलाने की भावमुद्रा में है। उसके पीछे दूसरा बच्चा पीले वस्त्रों में ढंका हुआ जमीन पर लेटा स्कूल बस बना हुआ है। उसके पीछे चार-चार बच्चों की दो टोलियां बेंचों पर बैठी हैं। बस के मुंह से {बस बने बच्चे के मुंह से} धर्र-धर्र की आवाज आ रही है।

FILE


स्कूल बस- मुझे इतनी तेज रफ्तार से क्यों चला रहे हो? देखते नहीं, सड़क पर कितनी भीड़ है, आराम से नहीं चल सकते क्या?

ड्राइवर- क्या कहा, आराम से! तुम्हें क्या मालूम नहीं है कि आराम हराम होता है। क्या आराम करने वाले कभी आगे भी बढ़ पाते हैं? ऊंह बड़ी आई आराम वाली। { विचित्र-सा मुंह बनाता है।}

स्कूल बस- मेरा मतलब है इतनी भीड़ है, सड़क पर चलने को जगह नहीं है और तुम मुझे इतनी रफ्तार से चला रहे हो, कहीं दुर्घटना हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे। मेरी तो टूट-फूट होगी ही, तुम्हारा भी सर फूट सकता है। और ये नन्हे फूल से बच्चे, इनका क्या होगा, जानते हो?

ड्राइवर- जा-जा चुप रह, बहुत बोलने लगी है आजकल। स्कूल वालों ने तुझे पीले रंग से क्या पोत दिया, तू स्कूल बस बनकर इतराने लगी है। मैं तुम्हारा ड्राइवर हूं। तुझे तेज चलाऊं अथवा धीरे, मेरी मर्जी, तुम कौन होती हो रोकने वाली।



स्कूल बस- ए भाई, ज्यादा अकड़ मत दिखाओ। यह बस है, हवाई जहाज नहीं है कि ले उड़ो। सड़क पर इतनी भीड़-भड़क्का...

अचानक मंच पर अंधेरा हो जाता है। सूत्रधार प्रकाश के घेरे में फिर दिखाई देता है।

उसके गीत की आवाज आने लगती है लय और ताल के साथ-

चलो संभल के, चलो संभल के,

यह तो बस है, चलो संभल के।

ना समझो यह वायुयान है,

ना समझो, नभ की उड़ान है।

यह तो वाहन भाई सड़क का,

सड़कों पर है, भीड़-भड़क्का।

अगर संभल के नहीं चलाया,

तो समझो, वाहन टकराया।

चलो संभल के, चलो संभल के,

यह तो बस है, चलो संभल के।


{मंच पर प्रकाश हो जाता है} सूत्रधार चला जाता है।

ड्राइवर बस की रफ्तार और तेज कर देता है। अपने मुंह से जोर-जोर से धर्र-धर्र की आवाज निकालने लगता है।


स्कूल बस- ड्राइवरजी, तुमने सुना नहीं क्या? क्या बहरे हो गए हो? क्या कोई नशा किया है? मैं धीरे चलने को कह रही हूं और तुम स्पीड बढ़ाए जा रहे हो। क्या तुम पागल हो गए हो।

ड्राइवर- हां-हां, मैंने नहीं सुना, मैं बहरा हो गया हूं, मैंने शराब पी है, नशे में हूं, बोलो अब क्या कहती हो? जानेमन, शराब पीकर वाहन चलाने के अपने अलग ही मजे हैं। सारा भय समाप्त हो जाता है। कितना भी तेज चलाओ, कोई रोक-टोक नहीं। तुम थोड़ी-सी पीकर तो देखो, पीने का आनंद कुछ और ही चीज है। अरे 'बस मैडम', बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद। देखो कितना शानदार रोड है। काली नागिन की तरह लहराता हुआ। मजा आ रहा। सौ की रफ्तार से चल रहा हूं। मालूम भी नहीं पड़ रहा है। और रफ्तार बढ़ाता हूं... अरा रा रा रा... ये गाय कहां से आ गई। {जोर से ब्रेक लगाने का भाव}

बच्चों की प्रथम टोली- अरे-अरे, यह क्या करते हो ड्राइवर अंकल, हम लोग सीट पर लुढ़क रहे हैं, हमारे सर छत से टकरा रहे हैं। धीरे चलो प्लीज, हमें डर लग रहा है।

द्वितीय टोली- नहीं अंकल और तेज चलाओ, बहुत मजा आ रहा है। हम लोग सीट को जोर से पकड़ के बैठे हैं। खूब तेज चलाओ, खूब तेज हवाई जहाज बना दो अंकल। हा हा हा हा हु हु हू हू... एडवेंचर्स... एरोप्लेन जैसा... खूब तेज...।



स्कूल बस- बच्चो, क्या तुम्हें अपना जीवन प्यारा नहीं है? मैं 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हूं। ड्राइवर मेरा कहना नहीं मान रहा है। तुम लोग उसे समझाओ, रफ्तार कम करवाओ।

प्रथम टोली- हां-हां दीदी, आप ठीक कह रही हैं। इतनी ज्यादा रफ्तार में तो भयंकर दुर्घटना हो सकती है, गाड़ी टकरा सकती है, पलट भी सकती है, फिर हम लोगों का क्या होगा? ड्राइवर अंकल गाड़ी रोको, नहीं तो हम लोग कूद जाएंगे, हमें डर लग रहा है।

अचानक मंच पर अंधेरा हो जाता है और एक प्रकाश के एक गोल घेरे में सूत्रधार दिखता है।

तबले की ताल के साथ फिर गीत गाने लगता है।

कहर न इस बस पर बरपाओ,

इसे नशे में नहीं चलाओ।

तेज चले तो सर फूटेगा,

वाहन टूटेगा, टूटेगा।

हाथ-पैर-सर रखो सलामत,

आने दो मत भाई कयामत।

गति नियंत्रण में रखना है,

हमें टालना दुर्घटना है।

चलो संभल के, चलो संभल के,

यह तो बस है, चलो संभल के।


{प्रकाश आ जाता है} सूत्रधार चला जाता है।


प्रथम टोली- बस दीदी, आप स्वयं क्यों नहीं रुक जातीं। बिना आपकी इच्छा के चालक आपको कैसे चला सकता है? अच्छे लोगों के सामने तो बुरे लोगों की तो पराजय होती ही है।

स्कूल बस- बच्चो, मैं रुक तो सकती हूं किंतु अचानक रुकने से खतरा भी है। मेरा संतुलन बिगड़ सकता है, मैं पलट सकती हूं और तुम लोगों को चोट आ सकती है।

प्रथम टोली- तुम अपना गियर खराब कर लो न दीदी अथवा टैंकर का सारा डीजल बहा दो। ब्रेक भी तोड़ सकती हो।

स्कूल बस- नहीं बेटे नहीं, मैं यह कुछ नहीं कर सकती। वाहन बहुत तेज रफ्तार में है। मैं क्या करूं? कुछ भी नहीं कर सकती। सब भगवान भरोसे है।

द्वितीय टोली- आप भी बस दीदी, कहां इन कायरों के चक्कर में आ गईं। तेज रफ्तार में कितना मजा आ रहा है। दुनिया चांद और मंगल पर जा रही है और आप लोग 110 की रफ्तार में डर रहे हैं। कायर हैं सब। डरपोक कहीं के।

प्रथम टोली- माई डियर फ्रेंड्स, हम लोग सड़क पर हैं, सैटेलाइट में नहीं बैठे हैं। ऐसा एडवेंचर क्या काम का जिसमें मौत सरासर सामने दिख रही हो, जान के लाले पड़ रहे हों। देखो सड़क किनारे के बोर्डों में क्या लिखा, पढ़ भी नहीं पा रहे हैं। वाहन चालक नशे में है उसे होश कहां है?

द्वितीय टोली- शराब पीने से क्या होता है, बस तो चल ही रही है न।

प्रथम टोली- वाह मेरे मिट्टी के शेरों, शराब में अल्कोहल होता है, जो पेट में जाकर एसिटलडिहाइड में बदल जाता है जिससे अनुमस्तिष्क प्रभावित होता है और दिमाग काम करना बंद कर देता है, स्मरण शक्ति समाप्त हो जाती है। इंसान भ्रमित हो जाता है और... और...!

द्वितीय टोली- अरे बाप रे! क्या कह रहे हो? तब तो यह वाहन चालक बस को कहीं मार ही देगा। ये नशे में है {सब मन में बुदबुदाते हैं} प्रकट में रोको-रोको ड्राइवर अंकल रोको, बस के सारे बच्चे जोर से हल्ला कर रहे हैं।


स्कूल बस- यह ड्राइवर नहीं मानेगा, उसे होश ही कहां है? बच्चो, अब सतर्क हो जाओ। मैं धीरे-धीरे पंक्चर हो रही हूं।

दोनों टोलियां- धीर-धीरे क्यों दीदी, जल्दी करो न? अब समय नहीं है।

स्कूल बस- अरे, एकदम पंक्चर होने से मैं खुद को नहीं संभाल पाऊंगी और पलट जाऊंगी और तुम सब पर कहर टूट पड़ेगा। अब ज्यादा बातें मत करो। सीटों को जोर से पकड़े रहना। मैं रुकूंगी तो झटका लग सकता है।

बस में से फुस्स्स्स्सस्स की आवाज आने लगती है {बस बना हुआ बच्चा ही जोरों से फुस्स की आवाज निकाल रहा है} और बस धीरे-धीरे रुक जाती है। ड्राइवर कूदकर भाग जाता है।

मंच पर अंधेरा हो जाता है। प्रकाश होता तो प्रकाश के गोले में सूत्रधार दिखाई देता है। उसके हाथ में एक बोर्ड है जिसमें लिखा है- 'दुर्घटना से देर भली।'

सूत्रधार गाता है-

दुर्घटना से देर भली है,

ऐसे लिखे ढेर से नारे।

पढ़ो सूचना आंख खोलकर,

बोर्ड लगे हैं सड़क किनारे।

वाहन इतना तेज चलाओ,

रहे नियंत्रण में हाथों के।

अगर नियंत्रण टूट गया तो,

समझो पल अंतिम सांसों के।

धीरे चलो संभलकर चलना,

यही बजुर्गों की शिक्षा है।

आंख खोलकर बड़े धैर्य से,

आगे बढ़ना ही अच्छा है।

थोड़ी-सी लापरवाही से,

कितने लोग जा रहे मारे,

पढ़ो सूचना आंख खोलकर,

बोर्ड लगे हैं सड़क किनारे।

{पर्दा गिरता है}

समाप्त