चाणक्य नीति-दर्पण कहता है कि आचार्य चाणक्य भारत का महान गौरव है। चाणक्य कर्तव्य की वेदी पर मन की भावनाओं की होली जलाने वाले एक धैर्यमूर्ति भी थे। और उनके इसी आचरण पर भारत को गर्व है।
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महान शिक्षक, प्रखर राजनीतिज्ञ एवं अर्थशास्त्रकार चाणक्य का भारत में स्थान विशेष है। वे स्वभाव से स्वाभिमानी, संयमी तथा बहुप्रतिभा के धनी थे।
चाणक्य ने अपने निवास स्थान पाटलीपुत्र से तक्षशीला प्रस्थान कर शिक्षा प्राप्त की और राजनीति के प्रखर प्राध्यापक बने। उन्होंने हमेशा ही देश को एकसूत्र में बांधने का प्रयास किया। भारत भर के जनपदों में वे घूमें।
एक सामान्य आदमी से लेकर बड़े-बड़े विद्वानों को उन्होंने राष्ट्र के प्रति जागृत किया।
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अपने पराक्रमी शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य को मगध के सिंहासन पर बिठाने के बाद वे महामंत्री बने पर फिर भी एक सामान्य कुटिया में रहे और अपने त्याग, साहस एवं विद्वत्ता को आमजन के समक्ष पेश किया।
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एक बार चीन के प्रसिद्ध यात्री फाह्यान ने जब यह देखा तो बहुत आश्चर्य व्यक्त किया, तो उन्होंने उत्तर दिया-
जिस देश का महामंत्री सामान्य कुटिया में रहता है, और वहां के नागरिक भव्य भवनों में निवास करते हैं। वहां के नागरिकों को कभी कष्टों का सामना नहीं करना पड़ता। राजा और प्रजा दोनों सुखी रहती है।
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ऐसे महान विचारक और आदर्श से जीने वाले आचार्य चाणक्य आखिर इतने बड़े साम्राज्य के महामंत्री का जीवन इतना सादगीपूर्ण हो सकता है, उसने सोचा तक न था।
चाणक्य ने उसे भारतीय जीवन पद्धति में सरलता के महत्व के बारे में समझाया। चाणक्य के इस आचरण से उस चीनी यात्री का मन उनके प्रति श्रद्धा से भर उठा।