आचार्य चाणक्य के आदर्श वाक्य
* जब भी आप किसी भी नए कार्य की शुरुआत करें, तो असफलता से मत डरें और उस काम को बीच में ना छोड़ें। क्योंकि जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वो सबसे प्रसन्न होते हैं।
* जब आप तप करते है तो अकेले करें, अभ्यास करते है तो दूसरे के साथ करें, गायन करते है तो तीन लोग मिलकर करें, कृषि (खेती) करते है, तो चार लोग करें और जब युद्ध की स्थिति आए तो अनेक लोग मिलकर करें।