मजेदार कविता : भालू की हजामत
बाल हुए जब बड़े-बड़े, बूढ़े भालू चाचा के।
गुस्से के मारे चाची, उनको बोलीं चिल्ला के।।
बाल कटाने सियार नाई के, घर क्यों न जाते हो?
बागड़ बिल्ला बने घूमते-फिरते इतराते हो।। भालू बोला सियार नाई ने, भाव कर दिए दूने।
साठ रुपए देने में बेगम, जाते छूट पसीने।।
इतनी ज्यादा मंहगाई है, रुपए कहां से लाऊं?
इससे सोचा है जीवन भर, कभी न बाल कटाऊं।।
नहीं हजामत भालू ने, जब से अब तक बनवाई।
बड़े-बड़े बालों में ही, रहते हैं भालू भाई।।