बाल कविता : बुलडोजर ने धूम मचाई
चर्र-चर्र चें-चें खट-खट का,दिया नाद जब मुझे सुनाई।दौड़ पड़ा मैं यही देखने, यह आवाज कहां से आई।बाहर देखा अजब नजारा,लोगों की दी भीड़ दिखाई।मेरे घर के ठीक सामने,बुलडोजर ने धूम मचाई।हरे-भरे कुछ पेड़ लगे थे,फूल-फलों से लदे-फदे थे।जेठे स्याने कुछ थे कुछ के,अभी दूध के दांत गिरे थे।उनकी की भरपूर पिटाई।बुलडोजर ने धूम मचाई।कुछ के हाथ-पैर छांटे थे,गए स्वर्ग कुछ सिर कटवाके।किंतु मुकद्दर वाले थे कुछ,खड़े रह गए पूंछ दबा के।किसी तरह से जान बचाई,बुलडोजर ने धूम मचाई।लोग कह रहे सड़क बनेगी,मिट्टी गर्द गुबार हटेगी।बाल वाटिका फूलों वाली,आज हटेगी अभी हटेगी।देखो तो यह बेशरमाई।बुलडोजर ने धूम मचाई।एक काटकर चार लगाएं।कागज पर नेता चिल्लाएं।'
पेड़ हमारे जीवन दाता,पेड़ बचाएं पेड़ बचाएं।'बातों में पर नहीं सचाई।बुलडोजर ने धूम मचाई।