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ट्रैफिक सिग्नल
ट्रैफिक सिग्नल पर ड्यूटी थी,भूरे गधे सिपाही की।समयनिष्ठ थे, थे चौकन्ने,कभी न लापरवाही की।ट्रैफिक सिग्नल के नियमों का,पालन रोज कराते थे।नियम तोड़ने वालों को वे,कड़ा दंड दिलवाते थे।भालू चीता हिरण मोर सब,सिग्नल से घबराते थे।हरा रंग जब तक ना आए,पग भी नहीं बढ़ाते थे।मजबूरी में शेर सिंह भी,सिग्नल पर गुर्राते थे।नियम तोड़ने की हिम्मत पर,वे भी ना कर पाते थे।किंतु एक दिन चूहे राजा,शहर घूमने जब आए।बिना किसी की रोक-टोक के,चौराहे पर मस्ताए।एक सड़क से सड़क दूसरी,पार दनादन कर डालीवह समझे इस गधेराम का,भेजा तो होगा खाली।किंतु एक बस ने जब उनको,चटनी जैसा था पीसा,स्वर्ग लोक को चले गए वे,बिना खर्च धेला पैसा।भूरा गधा सिपाही अब तो,बच्चों को समझाता है।चूहे का जो हाल हुआ था,वह उनको बतलाता है।