गुरुवार, 28 मार्च 2024
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Written By WD

बाल दिवस मनाने से पहले बचपन को सहेजे

बाल दिवस मनाने से पहले बचपन को सहेजे - बाल दिवस मनाने से पहले बचपन को सहेजे
चाचा नेहरू जब आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजी हुकूमत की जेल की सलाखों के पीछे थे, तब उन्होंने अपनी नन्ही-सी बेटी इंदु (इंदिरा गांधी) को निरंतर कुछ ऐसे पत्र लिखे थे, जिनमें धरती पर दुनिया के बनने और मानव सभ्यता के विकास की सिलसिलेवार कहानी कही गई थी। यह पुस्तक 'पिता के पत्र पुत्री के नाम' शीर्षक से प्रकाशित है और दुनिया के करोड़ों बच्चे इसे पढ़ चुके हैं।

 


दरअसल चाचा नेहरू यदि भारत के प्रधानमंत्री न होते तो भी वे एक महान लेखक अवश्य होते। उनकी 'भारत एक खोज' कृति अपने देश की पूरी जीवनगाथा है। एक पूरा जीवंत इतिहास इस कृति के भीतर अंगड़ाई ले रहा है।

भारत के महान लेखक और राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की पुस्तक 'संस्कृति के चार अध्याय' की भूमिका में चाचा नेहरू ने हमारी राष्ट्रीय एकता के सूत्रों की खोज पर दिनकर जी को बधाई देते हुए भारत जैसे विविधवर्णी देश के लिए इस तरह की कृतियों के लेखन की आवश्यकता को निरूपित किया है।



आज देश के बच्चे बेहाल हैं। उनकी सेहत सबके लिए बेहद चिंता का विषय है। बाल श्रमिक निरंतर बढ़ रहे हैं। समाज की आर्थिक विषमता उसकी जड़ में है। बालक-बालिकाओं की प्राथमिक शिक्षा पूरी होते-होते तमाम बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। पालकों के पास देने के लिए फीस नहीं है।

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शिक्षा महंगी हो गई है। शिक्षा का व्यापारीकरण देश के बच्चों के जीवन और भविष्य के लिए श्राप बन गया है। बच्चे पीड़ित हैं। उनके ऊपर जुल्म ढाए जाते हैं। उनका यौन शोषण आम बात है। उनकी हत्याएं अखबार की सुर्खियों में अक्सर रहती हैं। बच्चों की मानसिक, शारीरिक विकलांगता एवं रोगों के प्रति जागरुकता अभियान में आज खोखलापन है। अनपढ़ और अशिक्षित बच्चे भीख मांगने को विवश हैं। अनाथालयों में शिशुओं को उचित संरक्षण का सर्वथा अभाव है। 'बाल दिवस' मनाने की सार्थकता पर उठे ये यक्ष प्रश्न हर बार हमें झकझोर जाते हैं।

क्या चाचा नेहरू का यही स्वप्न था। बच्चों के प्यारे चाचा आज के भारत में हो रही बच्चों की ये दुर्दशा यदि देख पाते तो शायद उनका हृदय विदीर्ण हो जाता। क्या बच्चों के जीवन-भविष्य से खिलवाड़ करती इस निर्दयी दुनिया से लड़ने की चुनौती आज हमारे सामने नहीं है? क्यों न हम बच्चों के साथ मिलकर उन्हें उनकी इस जंग में जिताने के लिए कुछ काम करें। यदि हम भारत एवं विश्व के बच्चों को उनकी खुशियां लौटा सकें तो यह उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।