बाल दिवस मनाने से पहले बचपन को सहेजे
चाचा नेहरू जब आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजी हुकूमत की जेल की सलाखों के पीछे थे, तब उन्होंने अपनी नन्ही-सी बेटी इंदु (इंदिरा गांधी) को निरंतर कुछ ऐसे पत्र लिखे थे, जिनमें धरती पर दुनिया के बनने और मानव सभ्यता के विकास की सिलसिलेवार कहानी कही गई थी। यह पुस्तक 'पिता के पत्र पुत्री के नाम' शीर्षक से प्रकाशित है और दुनिया के करोड़ों बच्चे इसे पढ़ चुके हैं।
दरअसल चाचा नेहरू यदि भारत के प्रधानमंत्री न होते तो भी वे एक महान लेखक अवश्य होते। उनकी 'भारत एक खोज' कृति अपने देश की पूरी जीवनगाथा है। एक पूरा जीवंत इतिहास इस कृति के भीतर अंगड़ाई ले रहा है।
भारत के महान लेखक और राष्ट्र कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' की पुस्तक 'संस्कृति के चार अध्याय' की भूमिका में चाचा नेहरू ने हमारी राष्ट्रीय एकता के सूत्रों की खोज पर दिनकर जी को बधाई देते हुए भारत जैसे विविधवर्णी देश के लिए इस तरह की कृतियों के लेखन की आवश्यकता को निरूपित किया है।
आज देश के बच्चे बेहाल हैं। उनकी सेहत सबके लिए बेहद चिंता का विषय है। बाल श्रमिक निरंतर बढ़ रहे हैं। समाज की आर्थिक विषमता उसकी जड़ में है। बालक-बालिकाओं की प्राथमिक शिक्षा पूरी होते-होते तमाम बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं। पालकों के पास देने के लिए फीस नहीं है।