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शिक्षाप्रद कहानी : एक चमत्कार

शिक्षाप्रद कहानी : एक चमत्कार - शिक्षाप्रद कहानी : एक चमत्कार
-  कमल चोपड़ा
 
आज रोहन तीन दिन बाद विद्यालय आया था। आज फिर उसके गले में सुनहरे मो‍तियों वाली एक नई माला थी। माला के नि‍चले हिस्से में तांबे की पट्टी-सी लटक रही थी जिस पर आड़ी-तिरछी कई लकीरें खिंची हुई थीं। पिछले सप्ताह वह काले मोतियों वाली माला पहनकर आया था। विद्यालय से छुट्टी मिलते ही उसके मित्र श्रेयस ने पूछा- अरे गले में ये क्या पत्री लटकाए फिरते हो?
 
फुसफुसाते हुए रोहन ने कहा- ये पत्री नहीं, सिद्धि यंत्र है। पूरे 3 हजार रुपयों का लाया हूं। तीन दिन से मैं पहुंचे हुए बाबा की तलाश में था। आखिर वे मिल गए। उनसे लाया हूं।
 
क्या तुम भी? अंधविश्वास में पड़े रहते हो?
 
रोहन रातोरात करोड़पति बनना चाहता था। उसके पिता गरीब मजदूर थे। अमीर बनने के लिए वह साधुओं और बाबाओं के चक्कर में पड़ा रहता, जो उपाय वो बताया करते। उपाय भी अजीबोगरीब होते। पीले कपड़े में हरी दाल बांधकर घर के दरवाजे पर लटका दो। रोटी और चने चौराहे पर फेंक आओ। वह वैसा ही करता, लेकिन कोई चमत्कार न होता।
 
वह सोचता कहीं कमी रह गई होगी। एक न एक दिन ‍चमत्कार जरूर होगा और वह अमीर बन जाएगा।
 
एकाएक श्रेयस ने कहा- मेरे एक काकाजी हैं, वे करोड़पति बनने का उपाय जानते हैं। वे खुद भी बहुत अमीर हैं। उनकी कोठी देखेगा तो देखता ही रह जाएगा। 
 
तो तू वह उपाय करके करोड़पति क्यों नहीं बन जाता?
 
 
श्रेयस ने हंसते हुए कहा- मैंने तो वह उपाय करना शुरू कर दिया है। 
 
लेकिन... 
 
मेरे काकाजी जो चमत्कार जानते हैं, वह आज तक असफल नहीं हुआ है। ऐसा चमत्कार जो हमेशा होते देखा है लोगों ने। शत-प्रतिशत आजमाया हुआ। तू कहे तो तुझे भी मिलवा दूं?
 
काकाजी उपाय बताने के कितने रुपए लेंगे?
 
बिलकुल मुफ्त...! अरे काका हैं वो मेरे...!
 
रोहन खुश होकर श्रेयस के साथ चल दिया। श्रेयस के काका की आलीशान कोठी देखकर रोहन हैरान रह गया। पता चला कि ये शहर के नामी-गिरामी अधिवक्ता (वकील) है। श्रेयस की बात सुनकर पहले तो काका हंसे, फिर बोले- बिलकुल ये चमत्कार हो सकता है बल्कि मैंने ही कर दिखाया है। मेरे पिता भी गरीब मजदूर थे और आज तुम देख ही रहे हो। चमत्कार करना तुम्हारे हाथ में है। बोलो करोगे?
 
हां, क्या करना होगा?
 
तो सुनो।
 
थोड़ा गंभीर होते हुए काकाजी ने कहा- उस चमत्कार का नाम है शिक्षा। शिक्षा का जादू कभी भी असफल नहीं हुआ है। मैं गरीब पिता का पुत्र था। मैंने अपनी पूरी मेहनत शिक्षा में लगा दी। पढ़-लिखकर अधिवक्ता बना। कानून की ऊंची-ऊंची डिग्रियां प्राप्त कीं। आज मैं एक-एक पेशी के 5-5 हजार रुपए लेता हूं। 
 
मेरा एक गरीब मित्र था, जो कि आज डॉक्टर बन गया। आज वह एक ऑपरेशन के लाख-लाख रुपए लेता है। जिसमें तुम्हारी रुचि हो। इंजीनियर बन सकते हो। कम्प्यूटर विशेषज्ञ बन सकते हो। तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर सकते हो। शिक्षा इंसान को क्या से क्या बना देती है। एक सामान्य आदमी से खास आदमी बना सकती है। पैसा ही नहीं, इज्जत और प्रतिष्ठा दिला सकती है। 
 
पढ़-लिखकर अपने अंदर इतनी योग्यता पैदा करो, फिर तुम्हें वो सब मिल जाएगा, जो तुम चाहते हो। मन लगाकर पढ़ो। एक दिन चमत्कार अवश्य होगा।

साभार- देवपुत्र