गुरुवार, 18 अप्रैल 2024
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बाल कहानी : अजीब अंत्याक्षरी

बाल कहानी : अजीब अंत्याक्षरी - Story Antakshari
कमल और प्रियंका अपनी मम्मी के साथ मामा के गांव जा रहे थे। रेल में समय बिताने के लिए प्रियंका ने कहा, 'चलो! हम अंत्याक्षरी खेलते हैं।'
 
इस पर कमल बोला, 'नहीं यार! अंत्याक्षरी क्या खेलना? इसमें मजा नहीं आता है?' 
 
अभी कमल की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि प्रियंका ने कहा, 'नहीं-नहीं भैया, हम अजीब तरह की अंत्याक्षरी खेलते हैं' और अपनी आंख खुशी से मटका दीं।
 
मम्मी चुप बैठी थी, 'कैसी अंत्याक्षरी?' उन्होंने जानना चाहा।
 
तब प्रियंका बोली, 'मैं एक गाना गाऊंगी और आप लोगों को उस गाने से संबंधित बीमारी बताना पड़ेगी।'
 
'क्या?' कमल चौंक पड़ा।
 
'जैसे मैं गाना गाती हूं', कहते हुए प्रियंका ने गाने की एक लाइन गुनगुना दी, 'लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है।'
 
इस पर कमल ने जवाब दिया, 'बरसात।'
 
'नहीं बाबा, यह उत्तर सही नहीं है', प्रियंका ने कहा- यह तो इसका अर्थ है। मैंने कहा था ना कि किसी बीमारी का नाम बताना है।'
 
उसे कुछ समझ में नहीं आया, 'तू ही बता दे।'
 
'बीमारी है दस्त।'
 
'ओह! लगी आज सावन की फिर झड़ी है। वाकई सही बात कही है', कमल को एक गाने की लाइन याद आ गई थी। वह गुनगुनाने लगा, 'तुझे याद न मेरी आई, किसी से अब क्या कहना?'
 
प्रियंका को इसका उत्तर याद था। उसने झट से कहा, 'याददाश्त कमजोर होना।'
 
 

'सही है', मम्मी ने कहा। उन्हें भी इस अजीब अंत्याक्षरी में मजा आने लगा था। उन्होंने दिमाग पर जोर डाला। फिर एक लाइन गुनगुना दी, 'तुझमें रब दिखता है यारा, मैं क्या करूं?'
 
कमल को उत्तर देने की जल्दी थी। वह बोला, 'प्यार होना।'

'किस से?' मम्मी ने पूछा तो कमल ने जवाब दिया, 'कुदरत से।'
 
इस पर प्रियंका बोली, 'यह बीमारी नहीं है।'
 
तब तक मम्मी को जवाब याद आ गया था, मगर वे कुछ नहीं बोलीं। जब किसी ने कोई जवाब नहीं दिया तब मम्मी ने बताया, 'बीमारी- मोतियाबिंद।'
 
'या फिर कम दिखना', प्रियंका ने कहा, 'यह ठीक है।'
 
'अब मैं गाऊंगी', कहते हुए प्रियंका ने अगले गाने का मुखड़ा दोहरा दिया, 'हाय रे हाय! नींद नहीं आए।'
 
इस पर कमल ने जवाब दिया, 'अनिद्रा।'
 
'सही', मम्मी ने कहा, 'बीड़ी जलाई ले, जिगर से पिया। जिगर में बड़ी आग है, इसका उत्तर बताइए?'
 
'तड़फ', कमल ने कहा।
 
'नहीं', मम्मी बोलीं।
 
'अब आप बताइए', प्रियंका थोड़ी देर बाद बोली तो मम्मी ने जवाब दिया, 'एसिडिटी या फिर सीने में जलन।'
 
'वाह मम्मी, मजा आ गया।'
 
'अब मैं सुनाता हूं', कमल ने प्रियंका को रोकते हुए कहा', 'सुहानी रात ढल चुकी है, न जाने तुम कब आओगे?'
 
यह सुनकर कुछ देर तक सन्नाटा पसरा रहा। किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। सब सोचने लगे। फिर अचानक प्रियंका ने जवाब दिया', 'कब्ज।'
 
'वाह, क्या जवाब है', पास ही बैठी एक लड़की ने कहा, 'अब मैं सुना सकती हूं?' उसने सभी से अनुमति मांगी।
 
'क्यों नहीं?', प्रियंका बोली, 'आपका स्वागत है।'
 
तब उस लड़की ने एक गाना गाया, 'जिया धड़क-धड़क जाए।'
 
'उच्च रक्तचाप', कमल ने जवाब दिया और फिर एक मुखड़ा सुना दिया, 'तड़फ-तड़फ के इस दिल से आह निकलती है।'
 
'इसका उत्तर बताइए?'
 
यह सुनकर डिब्बे में कुछ देर खामोशी रही। फिर मम्मी ने जवाब दिया, 'हार्ट अटैक।' 
 
'सही है मम्मी', प्रियंका ने कहा, 'अब मेरी बारी है।'
 
'सुनाओ?'
 
'जिया जले, जान जले, रातभर धुआं चले।'
 
'बुखार', कमल ने कहा, 'अब तुम बताओ' कहते हुए उसने एक गाने की लाइन सुना दी, 'मेरा मन डोले, मेरा तन डोले।'
 
'इसका उत्तर आसान है। चक्कर आना', पास वाली लड़की बोली तो मम्मी ने कहा, 'बताना भी नहीं आता, छुपाना भी नहीं आता', इसका उत्तर बताइए।' 
 
सभी यह सुनकर खामोश रह गए। ऐसी कौन-सी बीमारी है जिसे बताना भी नहीं आता और छुपाना भी नहीं आता है, मगर उन्हें इसका उत्तर नहीं मिला। किसी ने कुछ जवाब दिया तो किसी ने कुछ, मगर किसी का सही उत्तर नहीं था।
 
अंत में मम्मी ने कहा, 'बवासीर।'
 
इसे सुनकर सभी खुश हो गए।
 
पास में ही एक बुजुर्ग महिला बैठी थी। उसे भी मजा आ रहा था। वह बोली, 'अब एक लाइन मैं सुना दूं?'
 
'क्यों नहीं मांजी', मम्मी ने उनसे कहा तो वे बोली, 'टिप-टिप बरसा पानी, पानी ने आग लगाई', 'अब इस का उत्तर बताइए?'
 
सभी उत्तर सोचने लगे तभी मम्मी ने जवाब दिया, 'यूरिन इंफेक्शन।'
 
'सही है', प्रियंका ने कहा तभी कमल चिल्ला पड़ा, 'मम्मी नीमच आ गया।'
 
सभी का ध्यान बंट गया। उन्हें स्टेशन पर उतरना था इसलिए सभी सामान संभालने लगे और मजेदार अंत्याक्षरी पर विराम लग गया।

लेखक परिचय- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

* लघुकथा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए देश-विदेश में सम्मानित, प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन।