बाल साहित्य : नहीं जाऊंगा अब मैं शाला
लगता है हो रहा घोटाला,नहीं जाऊंगा अब मैं शाला।अब तक नहीं किताबें आईं,नहीं कापियां अभी मगाईं।जूते और ड्रेस बाकी है,पापा की क्या चालाकी है।लगता है कुछ गड़बड़ झाला,नहीं जाऊंगा अब मैं शाला।रबर पेंसिल नहीं मिले हैं,स्विमिंग सूट भी नहीं सिले हैं।किस बस में है मुझको जाना,नहीं अभी तक ठौर ठिकाना।लगता कहीं दाल में काला,नहीं जाऊंगा अब मैं शाला।टीचरजी भी गजब ढहाते,रोज नई चीजें मंगवाते।मंहगाई में खाना मुश्किल,नई किताबें लाना मुश्किल।पापा को चिंता में डाला,नहीं जाऊंगा अब मैं शाला।