बाल कविता : मां का उद्बोधन
- डॉ. मधु भारतीय
अम्मा मैं भी बाइक पर चढ़विद्यालय को जाऊंगाछुट्टी होने पर घर वापसलौट दनादन आऊंगा।बस में तुम भेजा करती होमैं हिचकोले खाता हूंछुट्टी होने पर मैं कितनीदेर बाद घर आता हूं।अभी बहुत छोटा हूं कहकरखिल्ली नहीं उड़ाओ तुमहरदम रोका टोकी करतीमत मुझको बहकाओ तुम।उछल-कूदकर मैं बैठूंगाकिक भी खूब लगाऊंगाऔर हवा से बातें करताफर-फर उड़ता जाऊंगा।सारे बच्चे दौड़-दौड़करमेरी बाइक देखेंगेमेरे सारे शिक्षक आकरमुझे बधाई देवेंगे।पिछड़ गया यदि पढ़ने में तोमुझे न डांट पिलाएंगेकरूं शरारत छेड़छाड़ तोमुर्गा नहीं बनाएंगे।अम्मा बोली- 'प्यारे बिट्टू!वैभव से कब ज्ञान मिला?ओछी हरकत करने से कबकिसको है सम्मान मिला?नियमित श्रमपूर्वक पढ़ने सेही खुश होते हैं गुरुजनसदाचार, कर्तव्यनिष्ठतासे खिलता जीवन उपवन।