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बाल कविता : पावस
फूल फलों से लदे वृक्ष को,देख पथिक यूं बोला। तुम्हें क्यों मिले ताजे ये फल, मुझे भूख का चोला। बोला वृक्ष अरे हे भाई,मुझ पर पतझड़ आया। कष्ट सहे ढेरों मैंने तब,यह सुखमय पल आया। भट्टी में गलता है सोना,तभी चमक आ पाती,ग्रीष्म ऋतु के गरम थपेड़े,खाकर पावस आती।