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बाल कविता : चूहे की लात
एक शेर को चूहेजी ने,कसकर मारी लात। शेर सिंहजी गिरे उलटकर,टूटे सारे दांत। बोला चूहा बीच सड़क पर,क्यों चलते हो भाई। मुझसे पंगा लेने आए,तुम्हें लाज न आई। अगर सड़क पर कभी दुबारा,मुझको पड़े दिखाई। कर दूंगा तब ठोक पीटकर,रुई की तरह धुनाई। धूल झाड़कर उठे शेरजी,रोते-गाते आए। माफी मांगी मूषकजी से,उनके चरण दबाए।