शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. बाल कविता : इनको करो नमस्तेजी
Written By Author प्रभुदयाल श्रीवास्तव

बाल कविता : इनको करो नमस्तेजी

बाल कविता : इनको करो नमस्तेजी - बाल कविता : इनको करो नमस्तेजी
आज गांव से आए काका,
इनको करो नमस्तेजी।
 

 
जब-जब भी वे मिलने आते,
खुशियों की सौगातें लाते।
यादें सभी पुरानी लेकर,
मिलते हंसते हंसतेजी।
 
याद करो छुटपन के वे दिन,
कैसे बीते हैं वे पल छिन।
बचपन कंधे पर घूमा है,
इनके रस्ते-रस्ते जी।
 
जाते बांदकपुर के मेले।
छह आने के बारह केले।
एक टके के दस रसगुल्ले!
मिलते कितने सस्तेजी?
 
काकाजी को खूब छकाया,
गलियों सड़कों पर दौड़ाया।
खोलो-खोलो बेटे खोलो,
स्मृतियों के बस्ते जी।