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फनी बाल कविता : उठो-उठो
सुबह-सुबह तोताजी बोले,उठो-उठो गुड मार्निंग जी।आज बने हैं आलू छोले,उठो-उठो गुड मार्निंग जी।भोर, स्वर्ण की थाली लेकर,द्वार तुम्हारे आई थी।किंतु तुम्हें जब सोता पायामन ही मन मुस्काई थी।ठंडी हवा रजाई टटोले,उठो-उठो गुड मार्निंग जी।चाय पुकारे जोर-जोर से,मैं कब से तैयार खडी।वहीं पराठों वाली थाली,एक टांग पर अड़ी पड़ी।चीख रहे हैं रस के गोले,उठो-उठो गुड मार्निंग जी।सुबह सुबह ही सोन चिरैया,तुम्हें जगाने आई थी।जागो-जागो हुआ सबेरा,चें चें चें चिल्लाई थी।कानों में अमृत रस घोले,उठो-उठो गुड मार्निंग जी।