बाल कविता : छोटी चिड़िया...
छोटी चिड़िया आंगन में आकर,
चावल के किनके चुगती थी।
चारों तरफ फुदक-फुदक के,
ची-ची-ची-ची करती थी।
उस समय आंगन में मेरे,
अद्भुत शोभा होती थी।
पता नहीं क्या कारण है अब,
शायद चावल में नहीं मिठाई है।
कई महीने बीत गए,
गौरेया नहीं दिखाई है।