इंदौर में है पानी, भोपाल में पानी।
लंका में झमाझम है, नेपाल में पानी।
बाबूजी जरा देखो, अखबार तो देखो,
अलवर में झराझर है, गढ़वाल में पानी।
आंखें इधर घुमाओ, देखो जरा उधर भी,
समतल में भरा पानी तो, ढाल में पानी।
सड़कें हुईं लबालब, गलियां भी ठिला ठिल हैं,
झब्बू की भरा घुटनों तक, चाल में पानी।
पानी को कहा जाता, बादल की अमानत,
धरती के फंस गया है, क्यों जाल में पानी।
अब पूछता है बेटा, मां मुझको बताओ,
क्यों गिर रहा है ऐसा, इस साल में पानी।
गए बरस में अम्मा, यह भी जरा बताना,
क्यों कर चला गया था, हड़ताल में पानी।