फनी बाल कविता : हंसो-हंसो
अम्मा ने डांटा टुल्ली को,
बिल्ली कैसे दूध पी गई।
पता नहीं इस बर्तन में से,
कितने सारे घूंट पी गई।
सुबह खरीदा तीन लीटर था,
सबका सब बेकार हो गया।
गुस्से के मारे अम्मा की,
गर्मी बढ़ी, बुखार हो गया।
बाबूजी जब घर पर आए,
तुरत डॉक्टर को ले आए।
इंजेक्शन सौ रुपए वाले,
उसने मां को तीन लगाए।
कुत्ता, बिल्ली, बंदर, चूहा,
धावा कभी बोल देते हैं।
सभी उपाय सुरक्षा वाले,
यूं ही व्यर्थ धरे रहते हैं।
छोटी-छोटी बातों पर ही,
गुस्सा कभी न हुआ करो।
बाबूजी बोले अम्मा से,
उठो-उठो अब हंसो-हंसो।