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बाल कविता : लालच
निकल कड़ाही से जब बाहर,
गरम जलेबी आई।
एक पड़ोसन मक्खी झटपट,
खाने को ललचाई।
कूदी गरम जलेबी पर तो,
बना वहीं पर भुर्ता।
हाय-हाय कर बैठे ग्राहक,
उसे देखकर मरता।
लालच बुरी बला होती है,
मेरे प्यारे भाई।
लालच जो करते हैं उन पर,
ही यह शामत आई।