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बाल कविता : अनपढ़ होना बड़ा गुनाह

बाल कविता : अनपढ़ होना बड़ा गुनाह - poem for kids
हाथी चाचा ने जंगल में,
एक आदेश निकाला।
बूढ़े और प्रौढ़ पशुओं को,
खोलेंगे अब शाला।
 
नहीं कोई भी पढ़ा लिखा है,
सभी अंगूठा छाप।
सहते रहते गलत सलत सब,
बेचारे चुपचाप।
 
बंदर मामू बड़े शहर से,
पढ़ लिख कर हैं आए।
हाथी चाचा शिक्षक पद पर,
उन्हें नियुक्ति दे आए।
 
पढ़ा लिखाकर मामू उनको,
कर देंगे होशियार।
साक्षर पशुओं पर फिर कैसे,
होगा अत्याचार !
 
अनपढ़ होना इस युग का है,
सबसे बड़ा गुनाह।
घूम-घूम कर हाथी करता,
है सबको आगाह।

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