मंगलवार, 26 मार्च 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Poem
Written By WD

कविता : नन्हीं आफत की पुड़िया

कविता : नन्हीं आफत की पुड़िया - Poem
पुष्पा परजिया 
 
मैं इक नन्हीं गुड़िया हूं
पर आफत की पुड़िया हूं 
सुबह सवेरे उठ जाती हूं  
सबके मन को भाती हूं 
 
मम्मी-पापा अंदर-अंदर   
खुश होते हैं मुझको पाकर
प्यारी बातें मैं कहती हूं 
मस्ती में बस रहती हूं       
मेरे पास इक बिल्ली है
लेकिन बड़ी चिबल्ली है
बच्चे हैं अभी छोटे उसके
रहते हरदम उठते गिरते
 
फोटो खिंचवाने को सारे  
आ जाते हैं बच्चे प्यारे
फोटो की इक एल्बम है
सौ से थोड़ी ही कम है 
 
होमवर्क जब कर लेती हूं
उनके पास चली आती हूं
बिल्ली के ये प्यारे बच्चे
घर के हैं राजदुलारे बच्चे
 
पास मेरे आ जाते खट से
सोने से जग जाते झट से
इतने कोमल इतने प्यारे
ईश्वर इनके काम संवारे