मंगलवार, 19 मार्च 2024
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बाल गीत : कोयल...

बाल गीत : कोयल... - Koyal Poem
कोयल कू-कू करती है,
बच्चों का मन भरती है।


 
इसकी प्यारी बोली है,
लगती कितनी भोली है।
 
इसकी गीत बड़ी मतवाली,
सब के मन को भाने वाली।
प्यार का गीत सुनाने वाली,
मन को बहुत लुभाने वाली।
 
भोर होते उठ कहती बच्चों,
उठो सबेरा आया है।
चंदा मामा चले हैं घर को,
रवि किरण फैलाया है।
 
प्रेम का गीत सुनाती है,
प्यार का पाठ पढ़ाती है।
 
ऐसे बच्चों एक दिन जग में,
नाम अमर कर जाओगे।
छोड़े सपने जो बापू ने थे,
पूरा करके दिखाओगे।
 
मीठी इसकी बोली है,
लगती कितनी सोणी है।
 
प्यार का गीत सुनाती है,
सबका मन बहलाती है।
कोयल कू-कू करती है,
बच्चों का मन भरती है।