बाल गीत : अंकल-आंटी...
जिनका मुंह है बंदर जैसा,
वह अंकल घर पर आए हैं।
साथ ही बंदरिया के मुंह वाली,
आंटी को भी ले आए हैं।
भालू मुंह के मेरे पापा,
उन्हें बुलाते हर संडे को।
और पीठ पर चिपकाते हैं,
उन दोनों को डंडे दो-दो।
डंडे खाकर अंकल-आंटी,
दोनों ही खुश हो जाते हैं।
हंसते-हंसते गाते गाते,
दौड़ लगाकर घर जाते हैं।