मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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Written By WD

हिन्दी कविता : भ्रमर गीत

हिन्दी कविता : भ्रमर गीत - Kids poem
शंभु नाथ 
 
हे पुष्प तुम्हारे रस को मैं,
सदियों से चूसता आया हूं।
तेरे कारण काला हूं मैं,
रूप कलूटा पाया हूं।
 
कली तेरी खिलने से पहले,
उस पर मैं मंडराता हूं।
चूस सुगंधित रस को तेरे,
आत्म संस्तुति पाता हूं।
 
काले तन पर नाज मुझे है,
तुम भी मुझ पर मरती हो।
चटक-मटक से हरदम रहती,
धूप-छांव भी सहती हो।
 
रंग बदलते देर न लगाती,
तेरा रूप निराला है।
तेरे अंदर अर्पण है वह,
जो तेरा चाहने वाला है।
 
चढ़ते यौवन आंख-मिचौली,
मुझसे करने लगती हो।
बन-ठनकर मेरी राह जोहती,
हंस-हंसकर बातें करती हो।
 
तेरी महक को हवा में सूंघकर,
बड़ी दूर से आया हूं।
आते ही तेरी बाहों में,
अपनी बाह सताया हूं।
 
जो सुख तेरी इन कलियों में,
वह सुख कहीं न आएगा।
रमते-जमते कहीं भी घूमूं,
कोई नहीं मुझको भाएगा।
 
सूर्यास्त बाहों में कसकर,
मुझको ले सो जाती हो।
प्रात:काल संग मेरे उठती,
फिर मुझको नहलाती हो।
 
कितना कोई मुझे बुलाए,
कहीं नहीं मैं जाता हूं।
तेरे ही द्वारे मैं आकर,
तेरी अलख जगाता हूं।
 
हे पुष्प तुम्हारे रस को मैं,
सदियों से चूसता आया हूं।
तेरे कारण काला हूं मैं,
रूप कलूटा पाया हूं।