शनिवार, 20 अप्रैल 2024
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चुलबुली कविता : चूहा और ऐनक

चुलबुली कविता : चूहा और ऐनक - kids poem
घूम रहा था चूहा घर में
टेबल के ऊपर वह आया
वहां पड़ा था सुंदर ऐनक
जो था उसे बहुत ही भाया ...
ऐनक लेकर कान चढ़ाया
और सामने दर्पण पाया
देखा उसने एक बड़ा सा
चूहा उसके सम्मुख आया ...
 
आंख तरेरी उसने उस पर
वही रूप उस पर भी छाया
लपका उस पर जब यह चूहा
दर्पण से जाकर टकराया ...
 
बार-बार टकराए दोनों
कोई उनमें जीत न पाया
चूहा लगा बैठ सुस्ताने
वैसा ही दूजा सुस्ताया ...
 
शिथिल हुआ जब पहला चूहा
मुड़ा और बिल घुसने धाया
उसे देखकर दूजे ने भी
उसी दिशा में कदम बढ़ाया ...