मंगलवार, 23 अप्रैल 2024
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नटखट कविता : डाकी बंदर

नटखट कविता : डाकी बंदर - kids poem
हूऽप हूऽप कर
कूद रहा था
डाकी बंदर
उछल-उछलकर ...1
 
इस डाली से
उस डाली पर
और बंदरिया
अपने बच्चे
को चिपकाकर
एक ओर
बैठी थी डरकर ...2
 
चीं चीं करता
छोटा बच्चा
बहुत डरा था
शोर सुना जब
पक्षी उड़कर
चले गए थे
पंख हिलाते
दूर झाड़ पर ...3
 
बंदर फेंक
रहा था पत्ते
तोड़-तोड़कर
नीचे भू पर
सिहर रहा था
आम बिचारा
अपने बोरों
के झड़ने पर ...4
 
विद्यालय जब
छूट गया तो
बच्चे दौड़े
अपने घर पर
हूऽप हूऽप सब
करते जाते
बंदर बनकर
वहां सड़क पर ...5 
 
हूऽप हूऽप कर
कूद रहा था
डाकी बंदर
उछल-उछलकर ...6

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