गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
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नन्ही नटखट कविता : जब घर आए गलफुल्ले

नन्ही नटखट कविता : जब घर आए गलफुल्ले - Childrens Poetry
खेलकूद कर जब घर आए गलफुल्ले,
अम्मा बापू पर चिल्लाए गलफुल्ले। 


 
अम्मा ने तो केवल इतना बोला था,
दस दिन से क्यों नहीं नहाए गलफुल्ले। 
 
बापू भी तो पूछ रहे थे बस इतना 
घर क्यों बहुत देर से आए गलफुल्ले। 
 
दादाजी ने जब गुस्से से डांटा तो,
बोल नहीं कुछ भी थे पाए गलफुल्ले। 
 
दादीजी ने बड़े प्रेम से समझाया, 
गर्दन झुका बहुत शर्माए गलफुल्ले। 
 
अम्मा बापू के चरणों में शीश रखा,
अपनी गलती पर पछताए गलफुल्ले।