रविवार, 21 अप्रैल 2024
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चटपटी कविता : सब्र...

चटपटी कविता : सब्र... - Child Poem
एक दिन में सागर निर्माण नहीं होता,
बूंद-बूंद करके ही नदी बनती है।


 
समय सदा गतिशील है,
पल-पल करके ही एक सदी बनती है।
 
सब्र का अर्थ नहीं, हारकर बैठ जाना,
सब्र का अर्थ है हिम्मत से खड़े होकर दिखाना।
सब्र है अडिग आस्था उस परिवेश में,
जहां शत्रु सामने आए मित्र के वेष में।
 
सब्र है अटल उम्मीद इंसान की,
सब्र से अभ्यास है तपस्या विद्वान की।
सब्र है अचल भक्ति भगवान की,
सब्र की राह पर चलो छोड़ राह अज्ञान की।
 
साभार- छोटी-सी उमर (कविता संग्रह)