बाल साहित्य : चश्मा छोड़ो करो पढ़ाई...
चश्मा तारक मेहता वाला,
कब तक देखोगे तुम लाला।
चश्मा भी तो बिलकुल उल्टा,
भाई अभी तक क्यों ना पलटा?
इसमें काम सभी हैं उल्टे,
नहीं एक भी अब तक सुल्टे।
अब मत देखो ज्यादा भैया,
हार गई कह-कह के मैया।
कब से नहीं किताब उठाई,
टीवी पर ही आंख गड़ाई।
कल से शुरू परीक्षा होगी,
बोलो तब क्या हालत होगी।
चश्मा छोड़ो करो पढ़ाई,