शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
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Written By Author प्रभुदयाल श्रीवास्तव

बाल कविता : खेल

बाल कविता : खेल - Bal Kavita
नहीं-नहीं रे आज नहीं रे,
चलें खेलने नहीं कहीं रे।


 
मेरे सिर में दर्द हो रहा,
कैसे चेहरा जर्द हो गया।
 
मुझे वैद्य के घर जाना है,
कोई दवा अच्छी लाना है।
 
स्वस्थ यदि कल हो जाऊंगा,
तभी खेलने चल पाऊंगा।