बाल कविता : पापाजी का भूगोल
पहले थे मिर्ची के जैसे,
हुए टमाटर से अब गोल।
पता नहीं कब पापाजी का,
बदल गया पूरा भूगोल।
पर इतिहास नहीं बदला है,
दुनिया बदली हो कितनी।
वही सादगी बातों में है,
अब भी वचन वही अनमोल।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
उनके लिए बराबर सब,
चुपके-चुपके मदद सभी की,
नहीं पीटते झूठे ढोल।