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Written By भाषा
Last Modified: इस्लामाबाद (भाषा) , सोमवार, 16 फ़रवरी 2009 (22:58 IST)

तालिबान के आगे झुका पाकिस्तान

स्वात में लागू होगा शरीयत कानून

तालिबान के आगे झुका पाकिस्तान -
तालिबान के आगे झुकते हुए पाकिस्तान सरकार ने सोमवार को स्वात घाटी समेत उत्तर पश्चिमी फ्रंटियर प्रान्त के हिस्सों में शरीयत कानून लागू करने की माँग मान ली। आतंकवादियों के साथ शांति समझौतों का अमेरिका द्वारा विरोध किए जाने के बावजूद प्रांत की सरकार और तहरीक-ए-निफाज-ए-शरीया मोहम्मदी (टीएनएसएम) के बीच एक समझौते पर दस्तखत किए गए।

करार के तहत शरीयत या इस्लामी कानून के खिलाफ जाने वाले सभी नियम कायदों को खत्म कर दिया गया है और इस बात पर सहमति बनी है कि इलाके में सैनिक मौजूद रहेंगे और सिर्फ हमला किए जाने पर ही कार्रवाई करेंगे।

देश और फ्रंटियर प्रांत की सरकारें क्षेत्र में इस्लामी कानूनों पर अमल की निगरानी करेंगी। इस समझौते पर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा कि स्वात में हुआ समझौता मुल्क के लिए फायदेमंद होगा। यह करार संवाद तथा विकास को प्राथमिक और सैन्य विकल्प को आखिरी चारे के रूप में इस्तेमाल करने की सरकार की नीति का हिस्सा है।

इस तरह के शांति समझौतों पर अमेरिका के विरोध पर गिलानी ने कहा कि उनकी सरकार का मानना है आतंकवाद से निपटने के लिए सेना का इस्तेमाल एकमात्र विकल्प नहीं है। यह समझौता तालिबान समर्थक संगठनों के साथ शांति वार्ता के बाद हुआ है। ये संगठन शरीयत को लागू करने और क्षेत्र में अगले चार से छह महीने के दौरान इस्लामी अदालतें गठित करने के पक्षधर हैं।

यह घोषणा स्वात घाटी में आतंक फैला रहे तालिबान की ओर से 10 दिवसीय संघर्षविराम के ऐलान के बाद की गई है। इससे पहले आतंकवादियों के साथ किए गए अनेक समझौते नाकाम साबित हो चुके हैं और अमेरिका ने ऐसे करार को दहशतगर्दों को फिर से एकजुट होने का मौका मानते हुए उनकी आलोचना की थी।

उत्तर पश्चिमी फ्रंटियर प्रांत के मुख्यमंत्री अमीर हैदर खान होती ने पेशावर में कहा कि प्रांतीय सरकार और टीएसएसएम के मुखिया मौलाना सूफी मोहम्मद ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा इस पर राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सैद्धांतिक सहमति दी थी।

होती ने कहा शरीयत लागू करने के लिए देश के संविधान में बदलाव करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इस्लामी कानून का कोई भी प्रावधान संविधान और आधारभूत मानवाधिकारों के खिलाफ नहीं है। तालिबान आतंकवादी क्षेत्र में शरीयत को बेरहमी से लागू कर रहे हैं।

इसकी आड़ में उन्होंने लड़कियों के अनेक स्कूलों को आग के हवाले कर दिया है। साथ ही वे सरकारी इमारतों, अदालतों और सुरक्षा बलों पर भी कई बार हमले कर चुके हैं।

अधिकारियों ने कहा कि क्षेत्र में शांति स्थापना के बाद स्वात और मालाकंद जिलों में निजाम-ए-अदल या इस्लामी कानून लागू कर दिया जाएगा। फ्रंटियर प्रान्त के सूचना मंत्री मियाँ इफ्तिखार हुसैन ने बताया शरीयत के खिलाफ सभी कानूनों को खत्म कर नई प्रणाली में इस्लामी कानून लागू किए जाएँगे। यह समझौता प्रान्त के मालाकंद क्षेत्र में प्रभावी होगा। इस इलाके के दायरे में स्वात घाटी भी आती है।

होती ने कहा समझौते के तहत स्वात घाटी में सैनिक मौजूद रहेंगे, लेकिन वे तभी गोली चलाएँगे, जब उन पर हमला किया जाएगा। उन्होंने कहा जिरगा यानी कबीलाई परिषद की बैठक में शामिल हुई सभी राजनीतिक पार्टियों ने स्वात और मालाकंद में इस्लामी कानून लागू किए जाने के कदम का समर्थन किया।

होती ने कहा सरकारी अधिकारी और राहत एजेंसियाँ लोगों के पुनर्वास के लिए हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में जल्द ही जाएँगी। स्वात और मालाकंद के कानूनी परिदृश्य में इस बदलाव का असर बाकी देश में लागू संविधान पर नहीं पड़ेगा।

उधर, तालिबान के प्रवक्ता मुस्लिम खान ने कहा है कि अगर संघर्षविराम की वजह से शरीयत लागू होती है तो हम पूरा सहयोग करेंगे। राजधानी इस्लामाबाद से करीब 160 किलोमीटर दूर स्थित खूबसूरत घाटी स्वात करीब दो साल पहले पर्यटकों का प्रिय स्थल थी। खूबसूरत वादियों वाली इस घाटी में अब तालिबान का खौफ छा चुका है। तालिबान नेता फजलुल्ला ने घाटी में शरीयत लागू करने का हिंसक अभियान छेड़ रखा है। नतीजतन हजारों लोग अपना घर छोड़कर जा चुके हैं।