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Last Modified: मंगलवार, 31 मई 2016 (00:52 IST)

धरती से 100 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में 'अगला कुरुक्षेत्र' तैयार

धरती से 100 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में 'अगला कुरुक्षेत्र' तैयार - Space, missile, US, Russia, NUDO missile
धरती से 100 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में अगला कुरुक्षेत्र तैयार हो रहा है। कुरुक्षेत्र यानि मैदान-ए-जंग - यानि वो इलाका जहां जीत और हार का फैसला होगा। रूस ने ऐसी मिसाइल का सफल परीक्षण किया है जो अंतरिक्ष में जाकर अमेरिकी सैटेलाइट को भस्म कर सकती है, उधर चीन भी ऐसी ही मिसाइल बना रहा है, जिससे भारतीय उपग्रहों को सीधा खतरा होगा। ये स्पेस वॉर की तैयारी है। अगला महायुद्ध जमीन, या पानी में नहीं बल्कि अंतरिक्ष में छिड़ सकता है।
रूस ने मास्को से 500 मील दूर उत्तरी रूस की एक जगह प्लेसेत्स से NUDOL नाम की एक मिसाइल का परीक्षण किया। बताया जा रहा है कि रूस की इस एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण कामयाब रहा है। NUDOL नाम की ये मिसाइल अमेरिका का संचार तंत्र, अमेरिका का जासूसी तंत्र और नैविगेशन सिस्टम को खत्म कर देगा यानी अमेरिकी लड़ाकू जहाज आसमान में रास्ता भटक जाएंगे, समुद्र में घूमते अमेरिकी जंगी बेड़ा अंधा हो जाएगा, मोबाइल पर कोई संदेशा नहीं आ सकेगा क्योंकि अमेरिका का जीपीएस यानी सैटेलाइट की मदद से चलने वाला ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम फेल हो जाएगा।
 
बताया जा रहा है कि रूस की एंटी सैटेलाइट मिसाइल NUDOL का ये परीक्षण सिर्फ पुतिन ही नहीं बल्कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियां भी देख रही थीं क्योंकि ये मिसाइल अमेरिका को जंग में मात देने वाला पुतिन का सबसे बड़ा हथियार होगा। अभी ये पता नहीं चल सका है कि पुतिन की इस मिसाइल ने वाकई में अंतरिक्ष में जाकर किसी सैटेलाइट को भेदा या नहीं। मगर पुतिन का मुस्कुराता चेहरा ये बता गया कि अब रूस हर वक्त अमेरिका को डरा सकता है। हालांकि, रूस का कहना है कि ये मिसाइल लंबी दूरी की उसकी एक और मिसाइल से ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय से जुड़े रहे चेहरे साफ बता रहे हैं कि ये मिसाइल अमेरिका को तहस-नहस कर सकती है।
 
पूर्व पेंटागन अधिकारी मार्क श्नीडर के मुताबिक रूस की एंटी सैटेलाइट मिसाइल के हमले में जीपीएस सिस्टम खत्म हो जाएगा, अगर ऐसा हुआ तो हमारे हथियार बेकार हो जाएंगे, क्योंकि हमारे ज्यादातर हथियार जीपीएस के नक्शे को आधार बना कर हमला करते हैं। इसलिए हमें तो जैसे लकवा मार जाएगा। क्योंकि जीपीएस गाइडेंस सिस्टम को हम जमकर इस्तेमाल करते हैं, ये सस्ता है, हर मौसम में कारगर रहता है और हर तरह की जंग में ये काम आता है।
 
पुतिन की इस नई मिसाइल के सफल परीक्षण से अमेरिका में जैसे सिहरन दौड़ गई है। ऐसा नहीं है कि अमेरिका को रूस के इस ब्रह्मास्त्र की भनक नहीं थी। बताया जा रहा है कि फरवरी 2015 में ही रक्षा क्षेत्र से जुड़ी इंटेलिजेंस एजेंसी ने कांग्रेसी संसद में एक रिपोर्ट दी थी। इसमें साफ लिखा था कि रूस का सैन्य सिद्धांत अंतरिक्ष के डिफेंस को काफी अहमियत दे रहा है। रूस के नेता खुलेआम कह रहे हैं कि उनके सुरक्षा बलों के पास एंटी-सैटेलाइट हथियार हैं और वो सैटेलाइट को भेदने वाले हथियारों पर सालों से रिसर्च कर रहे हैं।
 
इतना ही नहीं मार्च में अमेरिकी एयरफोर्स ने भी अमेरिकी संसद को चेताया था कि रूस अंतरिक्ष में जंग लड़ने के लिए हथियार तेजी से बना रहा है और इनमें ऐसे हथियार भी शामिल हैं जो अंतरिक्ष में हमारी मौजूदगी को ही खत्म कर सकते हैं। ज्वाइंट फंक्शनल कंपोनेंट कमांड फॉर स्पेस के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डेविड जे बक के मुताबिक रूसियों को ये पता है कि अमेरिका दरअसल, अपने संचार तंत्र के लिए अंतरिक्ष पर किस कदर निर्भर है। रूसी ये जान चुके हैं कि ये अंतरिक्ष हमारी कमजोरी है। इसलिए वो इस अंतरिक्ष से हमें साफ करने के लिए जानबूझ कर अपनी क्षमताएं बढ़ा रहे हैं।
 
बताया जा रहा है कि रूस ने NUDOL मिसाइल को 14Ts033 नाम दिया हुआ है।  ये इस मिसाइल का कोड वर्ड है। बताया जा रहा है कि इस एंटी सैटेलाइट मिसाइल के कुल चार परीक्षण हुए हैं, जिनमें से एक नाकाम भी हुआ था। पहला परीक्षण हुआ 12 अगस्त 2014 को, दूसरा परीक्षण हुआ 18 नवंबर 2014 को तीसरा परीक्षण 22 अप्रैल 2015 को हुआ जो नाकाम रहा और अब ये चौथा कामयाब परीक्षण हुआ है।
 
दिलचस्प बात ये है कि पुतिन ने अपनी स्पेशल स्पेस मिसाइल के परीक्षण के लिए वो दिन ही चुना जब अमेरिका की एयर फोर्स स्पेस कमांड सालाना वॉर गेम खत्म कर रही थी। अंतरिक्ष में जंग होने की सूरत में अपनी फौज को तैयार करने के इरादे से ये खास वॉर गेम तैयार किया गया है, इसमें अपने फौजियों को ट्रेन किया जाता है हर उस हालात से लड़ने के लिए जो भविष्य में चुनौती बन कर खड़ा हो सकता है। इसमें वॉर गेम में रूस की एंटी सैटेलाइट मिसाइल भी थी।
 
अमेरिका के सालाना वॉर गेम का नाम श्रीवर वॉर गेम 2016  है और ये मोंटगोमरी के मैक्सवेल एयर फोर्स बेस पर चल रहा था। जाहिर है अमेरिका के लिए ये दोहरा झटका है, क्योंकि सिर्फ रूस ही नहीं बल्कि चीन भी अंतरिक्ष में घूमते जासूसी और संचार उपग्रहों को मार गिराने वाली खास मिसाइल तैयार कर रहा है। और चीन आज से नहीं बल्कि साठ के दशक से इस कोशिश में लगा हुआ है। चीन की मिसाइल का नाम DONG NENG 3 है।
 
बताया जा रहा है कि चीन 1964 से ऐसी मिसाइलों पर काम कर रहा है जो अंतरिक्ष में तबाही मचा सकती हैं। 2007 में उसने एक मिसाइल छोड़ कर पृथ्वी की निचली कक्षा में घूमता एक मौसम का परीक्षण करने वाला सैटेलाइट मार गिराया।  उस वक्त अमेरिका ही नहीं रूस भी बेतरह चौंका था। उस सैटेलाइट के हजारों टुकड़े अंतरिक्ष में लंबे अरसे तक घूमते रहे और बाकी उपग्रहों के लिए खतरा पैदा करते रहे। अंतरिक्ष में घूमता स्पेस स्टेशन भी खतरे में आ गया था। चीन ने बाकी देशों के ऐतराज को ठेंगा दिखाते हुए अपनी स्पेस मिसाइल के कई और परीक्षण भी कर डाले।
 
ड्रैगन दावा करता है कि अब तक वो 6 एंटी सैटेलाइट मिसाइलें छोड़ चुका है। इन मिसाइलों से सीधा खतरा भारत को है, कहा जा रहा है कि चीन के साथ जंग की सूरत में वो सबसे पहले अंतरिक्ष में घूमते भारतीय उपग्रहों को इस मिसाइल से नष्ट कर सकता है। ऐसा हुआ तो भारतीय फौज को बड़ा झटका लगेगा।
 
रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर अनिल गुप्ता के मुताबिक ऐसी मिसाइलें विश्व शांति के लिए एक खतरा हैं। और ये अगर अमेरिका और भारत के कंयूनिकेशन सिस्टम को तहस-नहस कर देती हैं तो काफी नुक्सान होगा। रूस ने इसे डिफेसिंव वैपन कहा है, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि ऐसा होगा। ये एक खतरा है हाल ही में चीन ने भी ऐसी ही मिसाइल का परीक्षण भी किया था। रूस ने अभी लॉन्च की है ये विश्व शांति के लिए खतरा है जिन जिन देशों के स्पेश में कंयूनिकेशन है उनको भी खतरा है।
 
साफ है अगर यही हाल रहा तो जल्द ही अंतरिक्ष की शांति भंग होने वाली है। वैसे तो भारत भी एंटी सैटेलाइट मिसाइल विकसित करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी हमें मिसाइल बनाने में कई साल लग जाएंगे। ऐसा नहीं है कि अमेरिका के पास एंटी सैटेलाइट मिसाइलें नहीं हैं, लेकिन उसे डर अपने संचार नेटवर्क खासतौर पर जीपीएस के नष्ट होने का है, जिसका इस्तेमाल फौज के अलावा पूरी दुनिया के करोड़ों लोग करते हैं।
 
भारत भी अपना जीपीएस बना रहा है सो अब उसे भी डर चीन की एंटी सैटेलाइट मिसाइलों का है। हालांकि, रूस और चीन दोनों ही ये दावे कर रहे हैं कि ये मिसाइल सैटेलाइट मारने के इरादे से नही बनाई जा रही है बल्कि ये मिसाइल उन्हें दूसरी मिसाइलों के हमले से रक्षा कवच देगी। लेकिन हकीकत तो यही है कि रूस  और चीन दोंनों ही ऐसी मिसाइलें विकसित कर रहे हैं जिन्हें ट्रक से, रेल से, पानी से कहीं से भी आसानी से छोड़ा जा सके और छिपा कर भी रखा जा सके। और वक्त आने पर सीधा हमला अंतरिक्ष में होगा।
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