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साइमन कोलिस से कुछ सवाल...

साइमन कोलिस से कुछ सवाल... - Simon collice, Muslim community, Islam religion
रियाद। सऊदी अरब और दुनिया के अन्य स्थानों के मुस्लिम इस बात को लेकर बहुत खुश हैं कि सऊदी अरब में ब्रिटेन के राजदूत साइमन कोलिस ने हाल ही में दुनिया को बताया कि उन्होंने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया था। कहा जाता है कि ऐसा वे कुछेक वर्ष पहले कर चुके थे लेकिन इसकी सार्वजनिक जानकारी उन्होंने कुछेक समय पहले ही दी। इसी सप्ताह उन्होंने हज भी पूरा किया है। ऐसा करने वाले वे पहले ब्रिटिश राजदूत हैं। मुस्लिम इसलिए खुश हैं कि वे बाहरी तौर पर अपने को सर्वश्रेष्ठ बताते रहे हैं लेकिन एक गैरमुस्लिम ने इस्लाम स्वीकार किया है। एक पश्चिमी देश से धर्म परिवर्तन करने वाला काफिर लोगों के सर्वोच्च स्तर के लोगों में से आता है और उसके ऐसा करने से मुस्लिमों को भी भरोसा होगा कि जब साइमन कोलिस जैसा व्यक्ति अल्लाहू अकबर कहता है तो निश्चित ही अल्लाह महान है। 
 
उनके लिए यह और भी खुश होने वाली है कि एक उच्च श्रेणी का पश्चिमी व्यक्ति मुस्लिम समाज के साथ लंबी नजदीकी के बाद इस्लाम में शामिल हुआ है। उन्होंने ट्‍विटर पर लिखा है कि '30 वर्षों से अधिक लंबे समय तक मुस्लिम समाजों में रहने और अपनी सीरियाई पत्नी हुदा से विवाह करने से पहले इस्लाम को करीब देखा है। उन्होंने अपना नया नाम मोहम्मद मरमादूक पिकथल (कुरान का अनुवादक) बताया है। इससे पहले एक पत्रकार, लेखक और इस्लामी जानकार ल्योपोल्ड वीज, मोहम्मद असद बन गए। इब्न सऊद के सलाहकार सेंट जॉन फिल्बी भी मुस्लिम बने। इन मुस्लिम धर्मांतरण करने वालों का नाम बहुत सारे मुस्लिम जानते हैं, क्योंकि मुस्लिमों में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। 
 
अब प्रश्न उठता है कि साइमन कोलिस ने इस्लाम में ऐसा क्या आकर्षण देखा कि उन्होंने अपना धर्म ही बदल लिया? अपने 30 वर्ष के करियर में वे ब्रिटिश एम्बैसी स्टाफ में रहे और 2007-12 तक सीरिया में और 2012-14 तक इराक में ब्रिटिश राजदूत रहे। आखिर उन्हें असद परिवार के हत्यारे शासन में क्या खूबी दिखी? इसी तरह पशुवत, बर्बर सुन्नियों में उन्हें क्या नायाब दिख गया? उन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड में कौन-सा भाईचारा दिखा, जो कि असद के अलवाई तानाशाही को उखाड़ने में लगा रहा? सीरिया और इराक में मुस्लिम के हाथों हुए ईसाइयों के हत्याकांड को वे कैसे उचित ठहरा सकते हैं? अरब मुस्लिमों द्वारा यजीदी महिलाओं को यौन दासियां बनाने और पुरुषों की हत्याओं को भी क्या वे इस्लाम की खूबी समझते हैं? 
 
इराक में रहते हुए उन्होंने अल अनफल अभियान से क्या समझा जिसमें अरबी मुस्लिमों ने 1,82,000 कुर्दों की हत्याएं की थीं? क्या वे इस नरसंहार को अरब लोगों की सामान्य उदासीनता से परिचित नहीं हुए, जो कि इस्लाम का प्रचार-प्रसार करने में अरब देशों की गैर-अरब देशों पर सभी प्रकार से श्रेष्ठता का दावा करते हैं? शिया धर्मस्थलों और मस्जिदों पर हमला करने वाले सुन्नी आतंकवादी नहीं थे और क्या मातम मनाते शियाओं की भीड़ को बमों से उड़ाने वाले अधिक मानवीय हैं? सुन्नियों के जवाब में शियाओं द्वारा किए गए आत्मघाती हमले साइमन कोलिस के लिए मुस्लिमों के आपसी भाईचारे का उदाहरण हैं? जब साइमन कोलिस 3 फरवरी 2015 को सऊदी अरब में आए तो कौन-सी बात ने उन्हें इतना प्रभावित किया? 
 
क्या वे उन स्कूली किताबों से प्रभावित हुए जिनसे ईसाइयों और यहूदियों के प्रति घृणा का पाठ सिखाया जाता है? क्या वे उस सऊदी न्याय के कायल हो गए जिसके तहत एक शिया मौलवी निम्र अल-निम्र केवल इसलिए फांसी पर चढ़ा दिया गया, क्योंकि वे एक शिया थे और उन्होंने स्वतंत्र चुनावों की बात कही थी? इसके अलावा वे और किस खूबी से प्रभावित हो गए? क्या सऊदी अरब में वर्ष 2015 के दौरान 147 लोगों की सार्वजनिक हत्याओं ने उन्हें प्रभावित किया? जब एक सऊदी अनीश्वरवादी ने अपने विचार का ट्वीट किया तो उसे 10 साल की जेल और 2 हजार कोड़ों की सजा ने उन्हें अंदर तक छू लिया? मुस्लिम देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की क्या स्थि‍ति है, क्या इसकी जानकारी कोलिस को नहीं है? शायद अब वे एक मुस्लिम हैं और एक सच्चे धर्म का पालने करने वाले हैं इसलिए वे इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं समझते हैं।
 
यमन के नागरिकों पर सऊदी अरब की चल रही बमबारी के बारे में वे क्या कहेंगे, जहां ज्यादातर घायल होने, मारे जाने वाले लोग असैनिक रहे हैं। क्या वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि सऊदी सैनिकों को शिया बहुल आबादी को कुचलने के लिए बहरीन के शासक की मदद को भेजा गया? विदेशी कामगारों के साथ कैसा व्यवहार होता है जिनमें से बहुतों को उनका वेतन नहीं दिया जाता है, दूसरों को शारीरिक प्रताड़ना दी जाती है और अरबी नियोक्ता उनके साथ बलात्कार भी करते हैं? कुरान में ऐसा क्या है जिससे साइमन कोलिस इतने अधिक प्रभावित हो गए? क्या उन्होंने कुरान की उन 100 से ज्यादा आयतों को पढ़ा है जिनमें जिहाद का जिक्र है? 
 
यदि उन्होंने इन आयतों को पढ़ा है तो वे इनसे क्या सीखते हैं या कि उन्होंने कुरान के संशोधित संस्करण को स्वीकार कर लिया है? और जहां तक मुहम्मद का सवाल है तो वे क्या उन्हें परिपूर्ण (अल-इंसान अल-कामिल) मानते हैं? उनके आचरण का आदर्श (उस्वा हसना) स्वीकार करते हैं? केवल मजाक बनाने पर पैगंबर ने असमा बिंत मारवान और अबू आफक को मरवा दिया? खैबर नखलिस्तान के अहिंसक यहूदी किसानों की मुहम्मद और उनके आदमियों द्वारा हत्याएं करने से वे क्या समझते हैं? उनकी महिलाओं और संपत्ति पर कब्जा करने को वे क्या मानते हैं? साइमन कोलिस बानू कुरायजा में बांधकर रखे गए 600 से 900 कैदियों की हत्याओं से क्या अर्थ निकालते हैं? विशेष रूप से तब जबकि मुहम्मद ने खुद इन्हें मारने की स्वीकृति दी थी? मुहम्मद और छोटी आयशा के बारे में वे क्या सोचते हैं? कुछ भी नहीं? 
 
हिन्दू भारत में मुस्लिम आक्रमणकारियों के हमलों को लेकर वे क्या जानते हैं? इस देश में अपने 250 वर्ष के शासनकाल में मुस्लिम शासकों ने करीब 8 करोड़ हिन्दुओं की हत्या की? मुस्लिमों ने हिन्दू और बौद्ध धर्म स्थलों की मूर्तियों और मंदिरों को लूटा और नष्ट किया, जो कि भारत ही नहीं, वरन पूर्व में पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी थे? अफगानिस्तान में बामियान बुद्ध की मूर्तियों को ढहाने को लेकर वे क्या समझते हैं जिन्हें सऊदी और पाकिस्तानी इंजीनियरों की मदद से तालिबानियों ने बारूद से उड़ा दिया? इंडोनेशिया के हिन्दू और बौद्ध मंदिरों के कॉम्प्लेक्सेज को किसने तोड़ा? अंसार दीन के कट्‍टरपंथी मुस्लिमों ने टिंबकटू की लाइब्रेरीज की पांडुलिपियों और सूफी दरगाहों को किसने नष्ट किया? 
 
जो प्रसिद्ध लोग मुस्लिम धर्म स्वीकार करते हैं उन्हें सऊदी अरब से पैसा दिया जाता है? सऊदी अरब में एक पश्चिमी देश की नर्स से उसके बीमारों ने कहा कि अगर वह इस्लाम कबूल कर ले तो वे उसे 30 हजार डॉलर देंगे। हालांकि उस नर्स ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था लेकिन अगर एक नर्स के धर्मांतरण के लिए 30 हजार डॉलर दिए जाते हैं तो ब्रिटेन के एक राजदूत को धर्मांतरण करने के लिए कितना पैसा मिला होगा? निश्चित रूप से कोलिस सऊदी अमीरों की शानोशौकत से प्रभावित रहे होंगे जिन्होंने उन्हें प्रस्ताव दिया होगा कि अगर वे ब्रिटिश विदेश सेवा से रिटायर होने के बाद मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लेंगे तो उन्हें शहजादा बना दिया जाएगा।
 
सोचिए, अगर पश्चिमी देशों के प्रेस से जुड़े लोग ऐसे प्रश्नों की सूची बनाएं तो साइमन कोलिस को कितने प्रश्नों का सामना करना पड़ेगा? क्या वे द टेलीग्राफ, द टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट या न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे ऐसे सवालों का जवाब दे सकेंगे? वे चाहकर भी इन सवालों का जवाब नहीं दे सकेंगे? वे केवल अपने नए धर्म के साथ चुप रहेंगे और मुस्लिम समाज की सच्चाइयों से परिचित होते रहेंगे। उनके बाद संभव है कि पश्चिमी देशों के किसी अन्य राजदूत, राजनयिक और बड़े नेता को अपना भाग्य इस्लाम के साथ जोड़ने की दूरदृष्टि प्राप्त हो जाए। आखिर उन्हें सिद्ध करना होगा कि इस्लाम पश्चिमी सभ्यता की तुलना में बहुत अधिक श्रेष्ठ है। 
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