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Last Modified: बुधवार, 13 जनवरी 2016 (14:38 IST)

जर्मनी में होते हैं भारत से अधिक यौन-अपराध...

जर्मनी में होते हैं भारत से अधिक यौन-अपराध... - sexual crime in Germany is higher then India
हो सकता है कि जर्मनी में नववर्ष की रात वाली घृणित घटनाओं के लिए अरब और इस्लामी देशों से आए शरणार्थी या प्रवासी ही मुख्य दोषी हों। पर तथ्य यह भी है कि उत्तरी और पश्चिमी यूरोप के सभी तथाकथित सुसभ्य और सुसंपन्न देशों की तरह जर्मनी में भी बच्चों और महिलाओं के साथ यौन-दुराचार और बलात्कार स्वयं यूरोपीय संघ के अध्ययनों और स्वयं जर्मन पुलिस के बताए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारत की अपेक्षा कहीं अधिक है।

भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड कार्यालय (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2013 में बलात्कार के कुल 33,764 मामले दर्ज किये गए। उस समय भारत की एक अरब 27 करोड़ जनसंख्या में प्रति एक लाख निवासियों के बीच पूरे साल में बलात्कार की घटनाओं का अनुपात 2.6 बैठता है। दूसरे शब्दों में, एक अरब 27 करोड़ की जनसंख्या के बीच बलात्कार की प्रतिदिन औसतन 92.5 घटनाएं हो रही थीं।
 

  • यूरोपीय संघ के जिस देश में शिक्षा और रहन-सहन का स्तर जितना ऊंचा है, वहां यौन-हिंसा का उनुपात भी उतना ही ऊंचा है। डेनमार्क में वह 52 प्रतिशत, फ़िनलैंड में 47 प्रतिशत, स्वीडन में 46 प्रतिशत और जर्मनी में 35 प्रतिशत पाया गया।
  •  प्रतिवर्ष 100 से 120 ऐसे मामले होते हैं, जिनमें बलात्कार का अंत पीड़ित की मौत के साथ होता है, ताकि वह बाद में कोई गवाही न दे सके। दूसरे शब्दों में, बलात्कार के कारण जर्मनी में प्रति सप्ताह औसतन दो मौतें होती हैं!

जरूर पढ़ें : जर्मनी में किसने की महिलाओं के साथ सामूहिक हिंसा और लूटपाट 
जर्मन पुलिस के 2013 के ही आंकड़ों के अनुसार, उस वर्ष सवा आठ करोड़ आबादी वाले जर्मनी में बलात्कार या बलात्कार के लगभग बराबर ज़ोर-ज़र्दस्ती की कुल 7,408 घटनाएं हुईँ। यह प्रति एक लाख जनसंख्या के बीच साल भर में 9.2 बलात्कार के, यानी भारत की अपेक्षा 3.5 गुना अधिक के बराबर है। प्रतिदिन की दृष्टि से देखें तो जर्मनी में हर दिन औसतन 20.3 या हर 70 मिनट पर एक बलात्कार होता है।

याद रहे कि भारत में जर्मनी की अपेक्षा 16 गुना अधिक लोग रहते हैं21 से 60 वर्ष की महिलाओं के बीच बलात्कार का अनुपात जर्मनी में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 19.6 है। भारत हो या जर्मनी, हर देश में बलात्कार-पीड़ित अधिकतर महिलाएं पुलिस के पास नहीं जातीं, क्योंकि सभी जगह अधिकतर बलात्कर सगे-संबंधी, साथी-सहयोगी, पास-पड़ोसी या परिचित लोग ही करते हैं। जर्मनी के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2013 में 14 साल से कम आयु के बच्चों के साथ यौनशोषण के प्रतिदिन औसतन 34 मामले दर्ज किये गए।

शिक्षा-संपन्नता बढ़ने के साथ यौनहिंसा भी बढती है : यूरोपीय संघ द्वारा मार्च 2014 में प्रकाशित एक सर्वे से पता चला कि संघ के सभी 28 देशों में 18 से 74 साल के बीच की हर तीसरी महिला, अपनी आयु के 15वें साल के बाद, कम से कम एक बार शारीरिक हिंसा या यौन-हिंसा झेल चुकी है। हर 20वीं महिला कम से कम एक बार बलात्कार भी भुगत चुकी है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह हैजिस पर पश्चिम की श्रेष्ठता के क़ायल भारत के लोग विश्वास नहीं कर पायेंगेकि यूरोपीय संघ के जिस देश में शिक्षा और रहन-सहन का स्तर जितना ऊंचा है, वहां यौन-हिंसा का उनुपात भी उतना ही ऊंचा है। डेनमार्क में वह 52 प्रतिशत, फ़िनलैंड में 47 प्रतिशत, स्वीडन में 46 प्रतिशत और जर्मनी में 35 प्रतिशत पाया गया।

जर्मनी के बारे में एक ऐसा आंकड़ा भी है, जो कभी प्रकाशित नहीं किया जाता। प्रतिवर्ष 100 से 120 ऐसे मामले होते हैं, जिनमें बलात्कार का अंत पीड़ित की मौत के साथ होता है, ताकि वह बाद में कोई गवाही न दे सके। दूसरे शब्दों में, बलात्कार के कारण जर्मनी में प्रति सप्ताह औसतन दो मौतें होती हैं! ब्रिटेन, फ्रांस या अमेरिका के आंकड़े तो और भी भयावह हैं। अमेरिकी विश्वविद्यालयों के छात्रों के बीच यौन-हिंसा और बलात्कार एक 'फ़ैशन' बन गया है।

महिलाओं की सामाजिक बराबरी में अग्रणी होने का दावा करने वाले यूरोप या पश्चिमी देशों में जब यौनदुराचार का यह हाल हो, तो क्या यह नहीं हो सकता कि जर्मनी के तीन शहरों में नववर्ष की रात को जो कुछ हुआ,  उसमें स्थानीय मूल जनता के कुछ ऐसे तत्व भी शामिल रहे हों, जो फुटबाल मैचों के समय हुड़दंग करने की तर्ज़ पर बहती गंगा में अपना भी हाथ धो लेना चाहते रहे हों!

कोलोन की घटनाओं में कम से कम दो जर्मन नागरिकों के नाम आना यह सिद्ध करता है कि कुछ जर्मनों ने भी महिलाओं के साथ हुई लूटपाट और यौनदुराचार की बहती गंगा में अपने हाथ धोए हैं।