शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. sex and murder
Written By

मैं सेक्स चाहता हूं और 74 हत्याएं करूंगा...

मैं सेक्स चाहता हूं और 74 हत्याएं करूंगा... - sex and murder
जर्मनी के कोलोन शहर में एक स्थान पर लिखा मिलता है 'मैं सेक्स चाहता हूं और मैं 74 लोगों की हत्याएं करूंगा।' अपने शब्दों और कर्मों से इस्लामी और गैर-इस्लामी देशों के मुस्लिम यह सोचते हैं कि गैर-इस्लामी महिलाएं 'गंदी और काफिर' होती हैं। ये केवल इसलिए पैदा हुई हैं कि वे मुस्लिमों की यौन वासना को शांत करें।
 
पहले, अल्लाह के नाम पर जिहाद करने वाले उन कट्‍टरपंथी लड़ाकों के बारे में सोचें जो यह मानते हैं कि वे यह सब अल्लाह की खातिर कर रहे हैं। इस्लामिक स्टेट जैसे क्षेत्रों लड़ाकों के कामों और विश्वासों के बारे में जान लें।  
 
इस्लामिक स्टेट के एक स्थान पर एक बारह वर्षीय गैर-मुस्लिम (यजीदी) लड़की से बलात्कार करने से पहले एक लड़ाके ने लड़की को समझाया कि वह जो करने वाला है, वह पाप नहीं है। क्योंकि कुरान में न केवल इस बात की इजाजत दी गई है कि किशोरावस्था से भी कम उम्र की लड़कियों के साथ कोई भी ‍मुस्लिम बलात्कार कर सकता है। उसका कहना था कि कुरान न केवल उसे ऐसे किसी पाप से बचाती है वरन इसके लिए प्रेरित भी करती है। इसके बाद उसने लड़की हाथों को बांध दिया और उसका मुंह बंद कर दिया।
 
इसके बाद वह ‍बिस्तर की बगल में नमाज पढ़ने लगा और नमाज पूरी होते ही उसके शरीर को रौंदने लगा। यह लड़की इतनी छोटी थी कि कोई भी वयस्क उसकी कमर को अपने दोनों हाथों में भर सकता था। जब उसका बलात्कार का काम पूरा हो गया वह फिर नमाज पढ़ने लगा। इस बीच लड़की चिल्लाती रही कि उसे बहुत तकलीफ हो रही है, इस काम को रोक दे। लेकिन फिर एक बार अपनी धार्मिक भक्ति करने के बाद फिर उसी काम में लग गया।
 
उसने लडकी को समझाया, 'इस्लाम का मानना है कि वह इस्लाम न मानने वाली किसी भी काफिर औरत या लड़की से बलात्कार कर सकता है। उसका कहना था कि वह जितना अधिक उससे बलात्कार करेगा, वह उतना ही अल्लाह के करीब पहुंच जाएगा।
 
इस तरह का व्यवहार केवल कट्‍टरपंथी जिहादियों तक ही सीमित नहीं है जिनका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है लेकिन ज्यादातर मूर्ख और मक्कार किस्म के लोग बार-बार यही बात कहते हैं। यह बात पूरी तरह से इस्लामी संस्कृति में बैठ गई है और जड़ें जमा चुकी है। 
सेक्स से इन्कार किया तो कार चढ़ा दी... पढ़ें अगले पेज पर पाकिस्तान की हकीकत....

हाल ही में, पाकिस्तान के लाहौर शहर के बाहरी इलाके में एक घटना हुई जहां तीन ईसाई लड़कियां दिनभर अपना काम करने के बाद घर को लौट रही थीं। उनका चार 'सम्पन्न और शराबी' मुस्लिमों ने पीछा किया। संख्या में ये चार युवक एक कार में सवार थे और इनका आईएसआईएस से कोई लेना देना नहीं था। 
 
उन्होंने लड़कियों के साथ 'बदतमीजी' की, भद्दी और अश्लील बातें' कहीं और लड़कियों को जबर्दस्ती कार में डालने पर आमादा हो गए। उनका कहना था कि वे लड़कियों को मुफ्त में उनके घरों तक पहुंचा देंगे और बस थोड़ा सा मौज-मजा करेंगे। लड़कियों का कहना था कि जब उन्होंने लड़कों के इस 'प्रस्ताव' को नहीं माना और ऐसा करते हुए कहा कि वे धर्मभीरू ईसाई लड़कियां है और शादी से बाहर और विवाह से पहले सेक्स नहीं करती हैं।
 
इस पर लड़कों को गुस्सा आ गया और यह चिल्लाते हुए उन्होंने लड़कियों से कहा कि तुम हमसे भागने की जुर्रत कैसे कर सकती हो? यहां ईसाई लड़कियां केवल एक काम के लिए पैदा हुई हैं और वह मुस्लिम पुरुषों को आनंद देना।  
 
यह कहकर कार में सवार उन लड़कों ने कार को तेज करते हुए लड़कियों पर चढ़ा दी। इस हमले में एक लड़की की मौत हो गई और दो अन्य बुरी तरह से घायल हो गईं। इसी तरह मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने एक 9 वर्षीय ईसाई लड़की के साथ बलात्कार करने वाले एक मुस्लिम आदमी के बारे में बताया।
 
उनका कहना है कि 'ऐसी घटनाएं अक्सर ही होती रहती हैं। ईसाई और हिंदू लड़कियों को ऐसा सामान समझा जाता है जिनके साथ मनोरंजन के लिए कुछ भी किया जा सकता है। काफिरों की लड़कियों के साथ बलात्कार करना मुस्लिमों का अधिकार माना जाता है। इस मामले में मुस्लिम समुदाय की मान्यता है कि यह कोई अपराध नहीं है। मुस्लिमों का मानना है कि ये लड़कियां लूट का माल हैं।
शरणार्थियों के आने के बाद जर्मन महिलाएं भी असुरक्षित... पढ़ें अगले पेज पर....

पहले यह घटनाएं तीसरी दुनिया के ऐसे इलाकों जैसे पाकिस्तान और आईएसआईएस निय‍ंत्रित इलाकों में हुआ करती थीं। लेकिन अब पश्चिम के देशों में भी 'गैर-इस्लामी या काफिर' महिलाओं, लड़कियों से बलात्कार एक आम बात सी हो गई है। कुछ समय पहले ही जर्मनी में मुस्लिम 'शरणार्थियों' के एक गुट ने रात के समय एक महिला का पीछा किया, उसे गंदी गालियां दीं और उसके महिला होने पर टीका टिप्पणियां कीं। गुट में से एक आदमी ने कहा कि जर्मन महिलाएं यहां केवल सेक्स करने के लिए हैं। इसके बाद उसने महिला के ब्लाउज और पैंट में हाथ डाले और उसके साथ जबर्दस्ती करने लगा।  
 
जर्मनी और पाकिस्तान की हाल की इन कहानियों में एक बात पूरी तरह समान है- मुस्लिम पुरुष गैर-मुस्लिम औरतों और लड़कियों को केवल यह मानकर प्रताड़ित करते हैं कि यह उनका इस्लामी अधिकार और विशेषाधिकार है। इन कहानियों में इतना अंतर है कि जर्मन 'काफिर' महिला की जान बच गई, लेकिन पाकिस्तान के 'हिंदू-ईसाई काफिरों' की लड़कियों को 'इस्लामी बलात्कारियों' की हवस मिटाने से इनकार करने पर मौत की सजा दी जाती है। जैसे-जैसे यूरोप में इस्लाम का असर ज्यादा होता जाएगा, गैर-इस्लामी और यूरोपीय देशों में जो थोड़ा बहुत अंतर है, वह भी खत्म होता जाएगा।
 
ऐसे मामलों का 'तीसरी दुनिया' के देश पाकिस्तान और 'विकसित' जर्मनी में समान असर भी देखा गया है। पाकिस्तान में एक ईसाई लड़की की हत्या और दो के बुरी तरह घायल हो जाने के बाद गरीब ईसाइयों की बस्ती में देखा जाने लगा है कि उस इलाके के बाकी ‍लड़कियां भयभीत हो गई है और वे रात के समय तो घर से ही नहीं निकलती हैं और दिन में निकलती हैं तो अपने परिजनों के साथ।
 
डॉर्टमंड से मिली रिपोर्टों में कहा गया है कि जहां जर्मन महिलाओं को 'केवल रेप के लिए हैं' बताया गया था। वहां अब सरकार की ओर से कहा गया है कि जर्मन महिलाएं रात के समय न निकलें क्योंकि शरणार्थियों द्वारा उन पर हमला किया जा सकता है या उन्हें बलात्कार का शिकार बनाया जा सकता है।