शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. अंतरराष्ट्रीय
  4. scotland future
Written By
Last Updated :एडिनबर्ग , शुक्रवार, 19 सितम्बर 2014 (12:45 IST)

ब्रिटेन में ही बना रहेगा स्कॉटलैंड

ब्रिटेन में ही बना रहेगा स्कॉटलैंड - scotland future
लंदन। स्कॉटलैंडवासियों ने ब्रिटेन के साथ अपना 307 साल पुराना रिश्ता बरकरार रखने का ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आजादी की मुहिम को धराशायी करने के साथ ही ब्रिटेन की अंखडता को लेकर चिंतित लोगों और प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को बड़ी राहत पहुंचाई। 
 
ब्रिटेन के साथ रहने या उससे अलग एक आजाद मुल्क के रूप में अस्तित्व में आने को लेकर गुरुवार को स्कॉटलैंड में कराए गए जनमत संग्रह के नतीजे ब्रिटेन के साथ रहने के हक में गए। इसके पक्ष में 55 वोट पड़े जबकि  विपक्ष में  45 प्रतिशत वोट पड़े। हालांकि मतों के प्रतिशत के हिसाब से आजादी के सर्मथकों और विरोधियों के बीच का अतंर कोई बहुत ज्यादा नहीं रहा। 

 









 
 
प्रधानमंत्री कैमरन ने नतीजों पर खुशी जाहिर करते हुए स्कॉटलैंडवासियों और ब्रिटेन की एकता बनाए रखने के लिए जीजान से कोशिश करने वाले नेताओं को धन्यवाद दिया। उप प्रधानमंत्री निक क्लेग ने नतीजों को बेहद उत्साहजनक बताया।
 
दूसरी ओर आजादी का अभियान चलाने वाले स्कॉटिश नेशनलिस्ट पार्टी के नेता एलेक्स सालमंड ने जनमत संग्रह में मिली पराजय को शालीनता के साथ स्वीकार करते हुए कहा कि स्कॉटलैंड की जनता ने ब्रिटेन के साथ रहने का फैसला सुनाया है। मैंने उनके इस फैसले का सम्मान करता हूं लेकिन सरकार को भी इसका सम्मान करते हुए स्काटलैंड को ज्यादा से ज्यादा स्वायत्ता देने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। हालांकि पार्टी के उपनेजा निकोला स्टजियोन ने नतीजों पर निराशा जताते हुए कहा कि लगता है 'हमारे अभियान में कहीं कोई कमी रह गई।'
 
प्रधानमंत्री कैमरन ने पूरी सदाशयता का परिचय देते हुए आजादी समर्थक नेता सालमंड से फोन पर बात की और कहा कि जनमत संग्रह का फैसला बहुत बड़ा फैसला है। आपने आजादी की मुहिम चलाकर लोगों को उनके हक के लिए आगे लाने का काम किया है इसके लिए आप धन्यवाद के पात्र हैं। फैसला भले ही आप के पक्ष में नहीं गया लेकिन हम आपकी मांगों पर गौर करते हुए स्काटलैंड को ज्यादा स्वायत्तता देने पर जल्दी बातचीत शुरू करेंगे।
 
ब्रिटेन का शासन अब तक जिस रूप में चलता रहा है उसमें बदलाव लाने का यह बेहतरीन मौका है। इसके लिए ब्रिटेन के कानून में संशोधन का मसौदा अगले साल जनवरी तक तैयार कर लिया जाएगा।
 
जनमत संग्रह के तहत स्काटलैंड को 32 निकायों में बांटा गया था। मतदान में लोगों से आजादी के बारे में नहीं बल्कि ब्रिटेन के साथ रहने या नहीं रहने के बोर में हां या नां में जवाब देने के लिए कहा गया था जिसमें ज्यादातर में लोगों ने ब्रिटेन के साथ रहने पर अपना मत दिया लेकिन स्काटलैंड के बड़े शहर ग्लासगो में लोगों ने आजादी के हक में सबसे ज्यादा वोट डाले।
 
ब्रिटेन से आजादी की यह मुहिम क्यों फेंल हुयी इसपर सामाजिक और राजनीतिज्ञों तथा अर्थशास्त्रियों ने कहा कि यह स्काटलैंड को सिर्फ ब्रिटेन से अलग नहीं कर रही थी बल्कि सैकडों परिवारों को भी तोड़ रही थी। कभी-कभी कई मसले भावनाओं से भी तय होते हैं।
 
दूसरी अहम बात यह भी थी कि स्काटलैंड में ब्रिटेन के कई महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे भी थे, जिन्हें हटाना बहुत ही मुश्कित भरा काम होता। मुद्रा और अर्थव्यवस्था का बंटवारा भी कोई कम जोखिम वाला काम नहीं था।
 
जनमत संग्रह के परिणाम आते ही ब्रिटेन के शेयर बाजार और मुद्रा बाजार में खासी तेजी देखी गई। निवेशक भी उत्साहित दिखे। (वार्ता)