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Last Updated : सोमवार, 19 दिसंबर 2016 (12:57 IST)

रूस ने दिया भारत को झटका, पाकिस्तान का किया समर्थन...

रूस ने दिया भारत को झटका, पाकिस्तान का किया समर्थन... - Russia supported china pakistan economic corridor
रूस को भारत का परंपरागत मित्र माना जाता है और कई बार बुरे समय में रूस ने भारत का साथ भी दिया है। लेकिन पिछले कुछ सालों से भारत-अमेरिका के बढ़ते संबंधों और विश्व में नए धुरों के उदय से अब समीकरण बदलने लगे हैं। 
 रूस ने अप्रत्याशित रूप से भारत को हैरत में डालते हुए चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) प्रोजेक्ट का समर्थन किया है। साथ ही उसने अपने यूराशियन इकनॉमिक यूनियन प्रोजेक्ट को सीपीईसी से जोड़ने की बात भी कही है। इससे भारत की चिंता बढ़ गई है। भारत के लिए इसे एक नकारात्मक कूटनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि इसके पहले रूस कहता रहा कि उसकी सीपीईसी में कोई दिलचस्पी नहीं है। 
पाकिस्तान में रूस के एंबेसडर एलेक्सी वाई. डेडोव का कहना है कि रूस और पाकिस्तान ने सीपीईसी को यूराशियन इकनॉमिक यूनियन प्रोजेक्ट से लिंक करने की बात की है। उन्होंने कहा कि रूस सीपीईसी का मजबूती से सपोर्ट करता है, क्योंकि यह न सिर्फ पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिए बेहद जरूरी है, बल्कि इससे रीजनल कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा मिलेगा। इस समय रूस का पाकिस्तान को समर्थन देना भारत के लिए करारा झटका है क्योंकि इस समय भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है और भारत आतंकवाद के मोर्चे पर दुनिया में अलग-थलग करने की कोशिशें कर रहा है। 
 
इसके पहले भी रूस ने भारत की आपत्ति को दरकिनार करते हुए इस साल की शुरुआत में उड़ी आतंकी अटैक के बाद रूस ने पाकिस्तान के साथ ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज की थी। इस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। हालांकि, इसके बाद भी भारत दावा करता रहा है कि रूस के साथ उसके रिश्तों में कोई दूरी नहीं है। उधर, रूस भी कहता है कि वह भारत की कीमत पर पाकिस्तान का साथ नहीं दे सकता। 
Read More : क्यों है भारत को सीपीईसी से खतरा :  

क्यों है भारत को सीपीईसी से खतरा : सीपीईसी पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मौजूद ग्वादर पोर्ट और चीन के शिनजियांग को जोड़ेगा। सीपीईसी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित-बाल्तिस्तान इलाके से भी गुजरता है, जिस पर भारत का दावा है। नरेंद्र मोदी सीपीईसी के मुद्दे पर चीन प्रेसिडेंट शी जिनपिंग से मुलाकात में एतराज जता चुके हैं, लेकिन चीन ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी।
 
क्यों चीन के लिए आवश्यक है सीपीईसी : इस कॉरिडोर के बनने से चीन तक क्रूड ऑयल की पहुंच आसान हो जाएगी। फिलहाल चीन पहुंचने वाला 80% क्रूड ऑयल मलक्का की खाड़ी से शंघाई पहुंचता है। इसके लिए 16 हजार किमी का सफर तय करना पड़ता है लेकिन सीपीईसी से ये दूरी 5 हजार किमी घट जाएगी। 
 
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