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Last Modified: मंगलवार, 28 मार्च 2017 (14:31 IST)

आकर्षक नितंब के लिए ऑपरेशन, जिंदगी ही छिन गई...

आकर्षक नितंब के लिए ऑपरेशन, जिंदगी ही छिन गई... - New mother dies after having a 'Brazilian butt lift'
वाशिंगटन। करीब तीस वर्षीया रानिका हाल अपना बट लिफ्ट (नितंबो को आकर्षक बनाने की प्लास्टिक सर्जरी) ऑपरेशन कराने के लिए मियामी पहुंची थी। अपने दूसरे बच्चे को जन्म देने के बाद वह अपने शरीर की संरचना से खुश नहीं थी। पहले से ही उसकी एक वर्षीय बच्ची थी और एनबीसी मियामी को उसके परिजनों ने बताया कि वह अपना फिगर किम करदाशियां और निकी मिनाज जैसा चाहती थी इसलिए उसने 'बट लिफ्ट ऑपरेशन' के लिए मियामी की फ्‍लाइट पकड़ी।
 
इस तरह के ऑपरेशन के दौरान चर्बी की ग्राफ्टिंग की जाती है। पेट, जांघों और अन्य चर्बी वाले स्थानों से चर्बी निकालकर ‍नितंबो में लगा दी जाती है और इन्हें अच्छा आकार दे दिया जाता है। इरेज प्लास्टिक सर्जरी नाम अस्पताल के एक डॉक्टर से उसने बात की थी और 3500 डॉलर में ऑपरेशन करने पर सहमति दी थी। पिछले गुरुवार को रानिका का डॉ. डैनियल काल्वा और अन्य ने रात 9 बजे तक ऑपरेशन खत्म ‍‍किया था। रात 9 बजे के बाद रानिका ने सांस लेना बंद कर दिया।
 
अस्पताल ने 911 की आपात सेवा को बुलाया और उसे इमरजेंसी रूम में ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मेडीकल एक्जामिनर ने बताया कि चर्बी का एक छोटा सा टुकड़ा उसकी रक्त नलिका में चला गया था और यह फेफड़ों के पास अटका था, जिससे उसकी रक्तवाहिनी को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल सकी और उसकी मौत हो गई। उसकी मां निकोल ने एनबीसी मियामी को बताया कि यह उनके लिए पूरी तरह से अप्रत्याशित है। इस बात की उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी।
 
उसकी मां ने अंतिम संस्कार का खर्चा जुटाने के लिए एक अभियान भी चलाया है। पिछले वर्ष यहां एक ऐसे ही ऑपरेशन के दौरान मौत हो गई थी। लोगों ने अस्पताल की सेवा, सुविधाओं को लेकर भी कई सवाल उठाए थे। अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में डॉक्टरों, नर्सों या अन्य कर्मचारियों की सेवा में कमी रहने के आरोपों को नकारा है, लेकिन पिछले दस वर्षों के दौरान अस्पताल का तीन  बार नाम बदला गया है तो इसके मालिकों के बदलते रहने की भी परंपरा रही है।
 
वाशिंगटन पोस्ट से बातचीत के दौरान अस्पताल की मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कहना था कि ऐसे ऑपरेशनों के दौरान थोड़ा बहुत खतरा तो होता है। लेकिन, अमेरिकन सोसायटी ऑफ प्लास्टिक सर्जन्स का कहना है कि ऐसे मामलों में ऑपरेशन करने वाले सर्जन भली-भांति प्रशिक्षित नहीं होते हैं हालांकि पिछले दो वर्षों के दौरान ऐसे ऑपरेशन कराने वाले मरीजों की संख्या में 26 फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है। 
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