कावरे (नेपाल)। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आपात सहायता टीमें भूकंप प्रभावित नेपाल में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में अहम चिकित्सा सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते हुए अपना काम कर रही हैं। दूरदराज के गांवों में चलते-फिरते क्लिनिक चलाए जा रहे हैं और इस आपदा से सदमे में जी रहे लोगों को मनोवैज्ञानिक परामर्श दिया जा रहा है।
वैश्विक मानवीय संगठनों- इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस एंड रेड क्रीसेंट सोसायटीज, डॉक्टर्स विदाउट बार्डर्स (एमएसएएफ) तथा कई एनजीओ अफरातफरी, दर्द और दहशत के बीच लोगों को मानवीय एवं सहानुभूतिपूर्ण संवेदना पहुंचा रहे हैं।
एमएसएफ ने दूर दराज के क्षेत्रों में चलती फिरती क्लिनिक सेवा चलाने के लिए दो हेलीकॉप्टर किराए पर लिए हैं। जिनीवा की इस सहायता एजेंसी ने आज अरुघाट गांव में अस्थायी अस्पताल लगाने का भी काम शुरू किया।
एमएसएफ की उप आपात समन्वयक मागली रौडाल्ट ने कहा, ‘हम फिलहाल सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से चार- सिंधुपालचौक, रसुवा, गोरखा और धाडिंग में चिकित्सा सहायता पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। चलते फिरते क्लिनिक के तहत हम दूर दराज क्षेत्रों में पहुंचते हैं और वहां हेलीकॉप्टर के अंदर ही पूरी क्लिनिक लगाते हैं। वहां हम प्राथमिक उपचार करते हैं और गंभीर मामला होने पर उसे वहां से निकाल भी ले जाते हैं।’
मागली रौडाल्ट ने बताया कि टीम कल सिंधुपालचौक के गांवा में पहुंची, जहां सबसे अधिक लोग हताहत हुए हैं (2000 से अधिक लोगों की मौत), बड़ी संख्या में मकान टूट गए। चलते फिरते क्लिनिक में एक डॉक्टर, एक नर्स, पानी, दवाइयां और स्वच्छता सामग्री और अन्य जरूरी चीजे हैं।
एमएसएफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘सिंधुपालचौक, रसुवा, धाडिंग और गोरखा के नौ से अधिक गांवों में चलते फिरते क्लिनिक लगाए गए। टीमों ने सबसे अधिक प्रभावित गांवों में से कुछ में खाना और कंबल भी बांटे। कल एमएसएफ का अस्थाई अस्पताल अरूघाट में लगाया जाएगा। इसके अलावा गोरखा में एक टीम प्रभावितों को आश्रय किट्स और स्वच्छता किट्स भी बांटती रही।’
अधिकारी ने कहा, ‘भक्तपुर में एक सर्जिकल टीम (डॉक्टर, एनेस्थटिस्ट और नर्स) अस्पताल को सहयोग पहुंचा रही है। उन्होंने अब तक पांच बड़े ऑपरेशन किए हैं।’ एमएसएफ टीम हेलीकॉप्टर से जरूरतमंद लोगों तक पहुंची जबकि कावरे के डोलाघाट इलाके में कल सिंधुपालचौक से प्रवेश करने के बाद आईएफआरसी की एक टीम भूस्खलन के कारण फंस गई।
आईएफआरसी के संचार प्रमुख पैट्रिक फूलर ने कहा, ‘हमारे पास एक बड़े ट्रक में कंबल, टेंट, फैमिली किट, अस्थाई रसोईघर, जैसी गैर खाद्य सामग्री थी, हमारा वाहन भूस्खलन के कारण फंस गया। हमें ऐसी स्थिति से बचने के लिए छोटे ट्रकों की मदद लेने की सलाह दी गई।’
आईएफआरसी दुनियाभर के 189 रेडक्रॉस सोसायटियों का परिसंघ है और नेपाल रेड क्रॉस के अलावा, भारत, मलेशिया, कनाडा, सिंगापुर, फिलीपिन और कतर की रेडक्रॉस सोसायटियां भूकंप के बाद से नेपाल पहुंची हुई हैं।
फूलर ने कहा, ‘हम रैपिड डिप्लायमेंट हॉस्पीटल स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं जो नार्वे से आ रहा हैं। उसकी आधी इकाई पहुंच चुकी है जबकि आधी पहुंचनी बाकी है। हमें यहां साजो सामानों की भी दिक्कत हो रही हैं क्योंकि हवाई अड्डे पर दुनियाभर से आ रही राहत सामग्री होने की वजह से वहां जगह नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा, इस मौसम में तिरपाल के नीचे रहने से बच्चों के फ्लू, निमोनिया और ब्रॉकाइटिस होने का भी डर है। अतएव प्राथमिकता के आधार पर चिकित्सा सहायता पहुंचाने का भी विचार है।’
मागली ने कहा, ‘जब कल हम एक गांव में पहुंचे तब हमने लोगों का चेहरा देखा, वे सदमे में थे। बाहर से तो वे सामान्य लग रहे थे लेकिन अंदर बड़ा दर्द है। यही वजह है कि हमें इस मुश्किल घड़ी में उन्हें मनौवैज्ञानिक परामर्श देने की जरूरत है।’
उन्होंने कहा, ‘जो लोग घायल नहीं हुए हैं उनमें भी सदमे से जुड़ी रूग्णता है। दूर दराज के गांवों में जो घायल हुए हैं या जिन्हें प्राथमिक संक्रमण है, यदि हम समय पर नहीं पहुंचे तो वे इलाज के अभाव में मर जाएंगे।’
आईएफआरसी नेपाल रेडक्रास सोसायटी को परिवारों और प्रभावित समुदायों की बढ़ती जरूरतों में कार्रवाई करने में सहयोग कर रहा है। उसने लापता परिवारों का पता लगाने के लिए वेबसाइट शुरू की है।
आईसीआरसी के संचार प्रमुख कृष्णा चालीसे ने कहा, ‘हमारा प्रयास भूकंप के कारण बिछुड़ गए परिवार के सदस्यों के बीच संपर्क कायम करना और उन्हें प्राथमिक चिकित्सा सामग्री एवं सहयोग देना है। आपात किट्स होने की वजह से एनआरसीएस स्वयंसेवक उन लोगों में पहले हैं, जो घायलों का इलाज करने और फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए पहुंचे।’ आईसीआरसी शवों के उचित एवं मर्यादित प्रबंधन का भी ख्याल रख रहा है। (भाषा)