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Last Modified: काठमांडू , सोमवार, 27 अप्रैल 2015 (23:31 IST)

नेपाल में मृतकों की संख्या 4000 के पार

नेपाल में मृतकों की संख्या 4000 के पार - Nepal earthquake
काठमांडू। नेपाल के भयावह भूकंप के बाद अब यहां भोजन, पानी, बिजली एवं दवाओं की भारी किल्लत से संकट और गहरा गया है तथा मरने वालों की संख्या भी 4000 को पार कर गई है।
दहशत का आलम यह है कि हजारों लोग खुले में रहने को मजबूर हैं जबकि विदेशी नागरिक अपने देश लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं जिससे यहां के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई है। नेपाल में यह बीते 80 वर्षों की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदाओं में से एक है। संकट से घिरी यहां की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मदद का आग्रह किया है।
 
तेलुगू फिल्मों के जानेमाने नृत्य निर्देशक विजय (21 भी इस भूकंप में मारे गए। भूकंप के बाद आए झटकों और बारिश के कारण एक सड़क हादसे में आज सुबह उनकी मौत हो गई। वे अपनी फिल्म यूनिट के साथ काठमांडू  जा रहे थे। असम की सात महिलाओं के भी इस भयावह भूकंप में मारे जाने की आशंका है।
 
बीते शनिवार को आए 7.9 तीव्रता के भूकंप के 48 घंटे से भी अधिक समय के बाद लोग सहमे हुए हैं। करीब 7000 लोग घायल हुए हैं और हजारों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं।
 
नेपाल के शीर्ष नौकरशाह लीला मणि पौडेल ने कहा, हम दूसरे देशों से आग्रह करते हैं कि वे हमें विशेष राहत सामग्री और चिकित्सा दल भेजें। हमें इस संकट से निपटने के लिए अधिक विदेशी विशेषज्ञता की जरूरत है। 
 
इस अधिकारी ने कहा, हमें टेंट, कंबल, गद्दे और 800 अलग-अलग दवाओं की फिलहाल सख्त जरूरत है। अधिकारियों का कहना है कि भूकंप में मरने वालों की संख्या 4000 को पार कर गई है। सिर्फ काठमांडू  घाटी में 1053 लोग और सिंधुपाल चौक में 875 लोगों के मारे जाने की खबर है।
 
अधिकारियों ने कहा कि काठमांडू  और भूकंप प्रभावित कुछ दूसरे इलाकों में मलबों में अभी भी बहुत सारे लोग दबे हुए हैं। ऐसे में यह आशंका है कि मृतकों की संख्या 5000 के पार जा सकती है।
 
नेपाल में कई देशों के बचाव दल खोजी कुत्तों और आधुनिक उपकरणों की मदद से जीवित लोगों का पता लगाने के काम में लगे हुए हैं। भूकंप के बाद अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं। यहां बचाव एवं राहत कार्य में भारत अग्रणी भूमिका निभा रहा है। 
 
भारत ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के 700 से अधिक आपदा राहत विशेषज्ञों को यहां तैनात किया है। उसने बचाव और पुनर्वास के एक बड़े प्रयास के तहत 13 सैन्य विमान तैनात किए हैं, जो अस्थाई अस्पताल सुविधा, दवाएं, कंबल और 50 टन पानी एवं अन्य सामग्री लेकर गए हैं।
 
अधिकारियों और सहायता एजेंसियों ने सचेत किया है कि पश्चिमी नेपाल के दूरदराज वाले पहाड़ी इलाकों में बचाव दलों के पहुंचने के बाद हताहतों की संख्या में और इजाफा दिख सकता है।
 
भूकंप आने के बाद आए ताजा झटकों, सड़कों के अवरुद्ध होने, बिजली गुल होने और अस्पतालों में भारी भीड़ के कारण जीवितों का पता लगाने के काम में बाधा आ रही है। भूकंप के बाद यहां फंसे दूसरे देशों के लोग बाहर निकलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और नतीजा यह है कि यहां के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अफरातफरी का आलम है। भारत और दूसरे देश अपने-अपने नागरिकों को जल्द वापस ले जाने की कोशिश में हैं।
 
अब तक भारत के 2500 लोगों को बाहर निकाला गया है तथा बड़ी संख्या में लोग त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जमा हैं ताकि वे व्यावसायिक और विशेष रक्षा विमानों से स्वदेश लौट सकें।
 
भारी भीड़ को देखते हुए महिलाओं, बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और घायल हुए लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि नेपाल में पानी और खाने की किल्लत हो गई है और करीब दस लाख कमजोर और कुपोषित बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है। (भाषा)