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Last Updated :काठमांडू , रविवार, 26 अप्रैल 2015 (22:52 IST)

भूकंप से नेपाल तबाह, 2400 से ज्यादा की मौत

भूकंप से नेपाल तबाह, 2400 से ज्यादा की मौत - Nepal Earthquake
काठमांडू। नेपाल में कल भारी तबाही लेकर आए भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2400 से ज्यादा हो गई है जबकि 6,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। बचावकर्मी भूकंप से धराशायी हुए मकानों एवं इमारतों के मलबे के नीचे जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। भूकंप के दो जबर्दस्त झटके आज फिर आए जिससे लोगों में दहशत पैदा हो गई। 

आज आए झटकों से माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हुआ। कल माउंट एवरेस्ट पर हुए हिमस्खलन की वजह से मरने वालों की संख्या बढ़कर 22 हो गई। आज आए भूकंप के पहले झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.7 मापी गई जबकि दूसरे झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.5 रही। भूकंप के झटके आते ही लोग खुली जगहों की ओर दौड़ पड़े।
 
 
कल से एक के बाद एक कर आ रहे भूकंप के झटकों के खौफ से लोगों ने खुले आसमान के नीचे सर्द रात बिताई। लोग अब भी अपने घरों में जाने से डर रहे हैं। काठमांडू स्थित नेशनल एमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर के पास उपलब्ध ताजा आंकड़ों के मुताबिक नेपाल में मरने वालों की संख्या बढ़कर 2400 से ज्यादा हो गई है जबकि 6,239 लोग घायल हुए हैं।
 
अकेले काठमांडू घाटी में 1,053 लोगों के मारे जाने की सूचना है। अधिकारियों को आशंका है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। जीवित बचे लोगों की तलाश जारी है।
 
भारत सहित कई अंतरराष्ट्रीय टीमें राहत और बचाव के काम के लिए नेपाल पहुंच गई हैं। आपदा के बाद नेपाल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। कल आए भूकंप को देश के इतिहास में पिछले 80 सालों में आया सबसे भयंकर भूकंप बताया जा रहा है। 
 
भारत ने दवाओं, फील्ड अस्पतालों, कंबलों, 50 टन पानी और अन्य सामग्री से लैस 13 सैन्य विमान तैनात कर बड़े पैमाने पर बचाव एवं पुनर्वास की कोशिशें शुरू की हैं। भारत के राष्ट्रीय आपदा राहत बल के 700 से ज्यादा आपदा राहत विशेषज्ञों को तैनात किया गया है ।
 
बचावकर्मी अपने हाथों के साथ-साथ भारी उपकरणों से मलबों के नीचे दबे जीवित लोगों की तलाश में जुटे हैं। भूकंप के ताजा झटकों, गरज के साथ छींटे पड़ने, और पर्वत श्रृंखलाओं में हो रही बर्फबारी के कारण बचाव कार्य प्रभावित हुआ है।
 
भारतीय वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टरों ने लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पांच संक्षिप्त उड़ाने भरी हैं और घायलों को सैन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है ।
 
सातों महाद्वीपों में सभी उच्चतम चोटियों पर चढ़ने के अभियान में जुटे 54 साल के भारतीय नागरिक अंकुर बहल भी 11 अन्य साथी पर्वतारोहियों के साथ माउंट एवरेस्ट के कैंप-दो में फंसे हुए हैं। बहल के दोस्तों ने नयी दिल्ली से बताया कि वह कल ही कैंप-एक से कैंप-दो में गए थे लेकिन भूकंप के कारण फंसे हुए हैं।
 
भूकंप और उसके बाद आए झटकों से हर तरफ तबाही का मंजर और मौत का मातम पसरा नजर आ रहा है। काठमांडू स्थित ऐतिहासिक धरहरा मीनार और दरबार चौक सहित कई इमारतें धराशायी हो गई हैं।
 
आज के भूकंप के झटकों से जुड़ी शुरुआती खबरों के मुताबिक त्रिशुली पनबिजली परियोजना में एक सुरंग जमींदोज हो गई और करीब 60 श्रमिकों के फंसे होने की आशंका है। हजारों घायलों के इलाज के लिए नेपाल के अस्पतालों को जूझना पड़ रहा है। लोग फर्श पर लेटे देखे जा रहे हैं। कई लोग तो अस्पताल के बाहर इलाज कराने को विवश हैं।
 
खाना और टेंट सहित 43 टन राहत सामग्री और करीब 200 बचावकर्मियों को लेकर भारतीय वायुसेना के विमान आज यहां पहुंचे। नेपाल सरकार ने क्षतिग्रस्त आधारभूत संरचना के फिर से निर्माण के लिए 50 करोड़ रूपए के कोष की स्थापना की है। 
 
बिजली के खंभे गिर जाने और लाइनें कट जाने के कारण पिछले 28 घंटे से देश के ज्यादातर हिस्सों में बिजली नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि अगले कुछ दिनों तक ऐसे हालात बने रह सकते हैं। नेपाल में 26 जिले भूकंप से बहुत प्रभावित हुए हैं जबकि देश के सुदूर पश्चिमी हिस्से को सुरक्षित घोषित किया गया है।
 
नेपाल सरकार द्वारा मदद की अपील करने के बाद अमेरिका, यूरोपीय संघ के साथ-साथ कई अन्य देशों ने अपनी आपदा प्रतिक्रिया टीमें रवाना की हैं।
 
बड़ी संख्या में भारतीयों, जिनमें पड़ोसी देश की यात्रा करने वाले कई कर्मी भी शामिल हैं, ने कहा कि उन्हें भोजन और साफ-सफाई जैसे बुनियादी मसलों का सामना करना पड़ रहा है। 
 
प्रधानमंत्री सुशील कोइराला के आधिकारिक आवास के पास दो बुलडोजरों ने पूरी तरह धराशायी हो चुकी एक चार मंजिला इमारत के मलबे को साफ किया। एक व्यक्ति ने बताया कि धराशायी हुई इमारत स्थानीय कर कार्यालय था। कार्यालय में मौजूद रहे चार कर्मियों के शव को कुछ देर पहले निकाला गया।
 
अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, पाकिस्तान और यूरोपीय संघ के देशों ने नेपाल की मदद करने का इरादा जाहिर किया है। रेड क्रॉस, ऑक्सफैम, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और क्रिश्चियन एड जैसी कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में अपनी टीमें भेज रही है। (भाषा)