ईरान समझौते की समयसीमा बढ़ाने पर चर्चा
वियना। परमाणु समझौते पर पहुंचने के लिए विश्व शक्तियों और ईरान ने इसकी समयसीमा बढ़ाने पर चर्चा शुरू कर दी है। समझौते पर पहुंचने की समयसीमा समाप्त होने में 24 घंटों से भी कम का समय बचा है और अभी कई मुद्दों को सुलझाया जाना बाकी है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्य तथा जर्मनी (पी 5 प्लस 1) जिनीवा में हुए अंतरिम करार को स्थायी समझौते में तब्दील करने के लिए ईरान के साथ महीनों से बातचीत कर रहे हैं। इस करार के लिए सोमवार की समयसीमा तय की गई थी, जो समाप्त होने वाली है।
12 साल के गतिरोध के बाद इस प्रकार के समझौते पर पहुंचने का मकसद इस आशंका को कम करना है कि ईरान अपनी असैन्य गतिविविधियों की आड़ में परमाणु हथियारों का विकास करेगा, हालांकि ईरान लगातार इन आरोपों से इंकार करता आया है।
लेकिन वियना में इस सप्ताह हुई वार्ता में सभी संबंधित पक्षों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा है कि प्रमुख मतभेदों पर कोई सहमति नहीं बनने के चलते क्या इसे कुछ और समय देना बेहतर विकल्प है।
अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारा मुख्य ध्यान समझौते की ओर बढ़ने पर लगा है लेकिन यह काफी स्वाभाविक है कि अंतिम समयसीमा में केवल 24 घंटे का समय बचा है और हम पी 5 प्लस 1 के अपने साझेदारों के साथ आंतरिक तौर पर बहुत से विकल्पों पर बातचीत कर रहे हैं।
एक ईरानी सूत्र ने इस बात की पुष्टि की कि अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी और उनके ईरानी समकक्ष मोहम्मद जावेद जरीफ ने गुरुवार से 6ठी बार बैठक की और समयसीमा बढ़ाने पर चर्चा की। ब्रिटिश विदेश मंत्री फिलिप हैमंड ने कहा कि सभी संबंधित पक्ष सोमवार सुबह फिर से कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यदि हम इसे कर पाने में समर्थ नहीं होते तो तब हम यह देखेंगे कि यहां से कैसे आगे बढ़ें। वार्ता में महत्वपूर्ण भूमिका रखने वाले और रविवार दोपहर बाद यहां पहुंचे रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने भी जरीफ और कैरी से अलग-अलग मुलाकात की। उन्होंने जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रैंक वाल्टर स्टेनमियर से भी चर्चा की।ब्रिटिश और फ्रांसीसी मंत्री भी यहां मौजूद हैं। हालांकि चीनी विदेश मंत्री को सोमवार सुबह पहुंचना था।
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रविवार को एबीसी न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा था कि इस समझौते से एक बड़ा काम खत्म हो जाएगा और संभवत: न केवल ईरान और हमारे बीच बल्कि ईरान और पूरी दुनिया के बीच संबंधों में बदलाव शुरू होगा। (भाषा)