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Last Modified: सोमवार, 27 जून 2016 (00:17 IST)

सनकी तानाशाह किम जोंग ने गरीबी दूर करने का दिया था अजीबोगरीब फरमान

सनकी तानाशाह किम जोंग ने गरीबी दूर करने का दिया था अजीबोगरीब फरमान - International News, eccentric dictator, Kim Jong-un, North Korea, poverty, poverty in 200 days
उत्तर कोरिया की कंगाली दूर करने के लिए तानाशाह किम जोंग उन ने एक स्पीड कैंपेन शुरू किया है। इस कैंपेन के जरिए 200 दिनों में देश की गरीबी दूर करने की कोशिश है। तानाशाह के इस सनकी फरमान की वजह से पूरे उत्तर कोरिया की फैक्ट्रियों में मजदूरों से जबरन काम लिया जा रहा है।
सनकी तानाशाह ने अपने मुल्क में एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है। इस फरमान के तहत पूरे उत्तर कोरिया में इन दिनों जूते बनाने का काम जोरों पर है। जहां देखो वहां, लोग जूते बनाने में लगे हैं। पुरुष हों या महिलाएं, हर उम्र के लोग, सिर्फ और सिर्फ जूते बनाने में जी जान से जुटे हैं। दुनिया से अलग-थलग रहने वाले उत्तर कोरिया की ये तस्वीरें बता रही हैं कि यहां लोगों से कैसे जरबन काम कराया जा रहा है। एक जैसी यूनिफॉर्म पहने ये वर्कर्स रोजाना सैकड़ों जूते तैयार कर रहे हैं। उत्तर कोरिया के शहर वुनसान की इस फैक्ट्री में 220 मजदूरों को रोजाना 700 जूते बनाने का आदेश दिया गया है।
 
तानाशाह किम जोंग-उन ने एक स्पीड कैंपेन शुरू किया है, जिसके तहत वो अपने मुल्क की कंगाली दूर करना चाहता है। दावा है कि इससे वो 200 दिनों के भीतर गरीबी खत्म कर देगा। तानाशाह का ये सनकी फरमान उत्तर कोरिया के लिए बने 5 ईयर इकोनॉमिक प्लान का हिस्सा माना जा रहा है। दरअसल, अपने परमाणु कार्यक्रमों के चलते नॉर्थ कोरिया पर तमाम अंतरराष्ट्रीय पाबंदियां लगी हैं, जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था काफी चरमाई हुई है। किम जोंग चाहता है कि वो किसी तरह से देश की आर्थिक तंगी को दूर कर सके।
 
वैसे तो वर्कर्स फैक्ट्री में कामकर अपनी बेसिक जरूरत पूरी करना चाहते हैं, लेकिन तानाशाह के फरमान के चलते उनमें दहशत है। वो तय वक्त से ज्यादा काम करने को मजबूर हैं। अगर किसी ने ऐसा करने से मना किया तो उसे न सिर्फ तनख्वाह से बेदखल किया जाएगा बल्कि उसे सजा भी भुगतनी होगी. क्योंकि उसे देश के प्रति वफादार नहीं माना जाएगा। सेना में काम कर चुके 28 साल के कांग जोंग जिन का कहना है आम तौर पर मैं रोजाना 8 घंटे काम करता था, सुबह 8 बजे से लकर दोपहर तक, और फिर दोपहर 2 बजे से लेकर शाम छह बजे तक। लेकिन अब फैक्ट्री में ज्यादा घंटे काम करना पड़ रहा है।
 
वहीं, सरकार का कहना है कि अगर फैक्ट्री अपना टारगेट बढ़ाती है, तो वर्कर्स को बोनस भी दिया जा सकता है। खास बात ये है कि इसी महीने शुरू किए इस स्पीड कैंपेन के तहत बनाए जा रहे जूते किसी दूसरे मुल्क में निर्यात नहीं किए जाएंगे, बल्कि इन्हें सिर्फ घरेलू इस्तेमाल में लाया जाएगा। फैक्ट्री में तैयार इन जूतों को पूरे देश में डिपार्टमेंट स्टोर में भेजा जाएगा।
 
ये दूसरा मौका है जब तानाशाह के आदेश पर उत्तर कोरिया में कोई स्पीड कैंपेन शुरू किया गया है। पहला स्पीड कैंपेन मई में उत्तर कोरिया की एकमात्र सत्तारुढ़ पार्टी के अधिवेशन से ठीक पहले खत्म हुआ था जो कि सिर्फ 70 दिनों तक चला था। 10 अक्टूबर तक चलने वाले इस स्पीड कैंपेन को सफल बनाने के लिए सरकारी महकमा हर फैक्ट्री पर नजर रख रहा है। अधिकारियों को पूरे 200 दिन कामकाज पर कड़ी निगरानी रखने को कहा गया है।
 
हालांकि बाहरी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस तरह के स्पीड कैंपेन से थोड़े समय के लिए फायदा मिल सकता है, लेकिन इससे ज्यादा समय तक अर्थव्यवस्था को संभालने की उम्मीद करना ठीक नहीं होगा। जानकारों की मानें तो अंतर्राष्ट्रीय पाबंदियों की वजह से उत्तर कोरिया की आर्थिक हालत ठीक होने के मौके तकरीबन खत्म होते जा रहे हैं।
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